Last Updated: Thursday, December 29, 2011, 10:00
अहमदाबाद: निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने गुजरात के वर्ष 2002 के दंगे के मामले में पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार से वाकयुद्ध करने के बाद इंसाफ के व्यापक हित में गुरुवार को सुलह की पेशकश की।
भट्ट ने श्रीकुमार को भेजे पत्र में कहा है, ‘मैं आपकी ओर से अचानक वैमनस्य से बहुत दुखी और हैरान हूं। ’ उन्होंने कहा, ‘सर, यह मेरा दृढ़ मत और विचार है कि आपस में इस तरह के मतभेद से न कवेल सत्ता में बैठे क्रूर व्यक्तियों को मदद मिलेगी बल्कि गुजरात में इंसाफ पर विपरीत असर पडेगा और यह ऐसा कारण है जो हमसे कई को प्रिय है।’
पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी श्रीकुमार ने बुधवार को आरोप लगाया था कि भट्ट ने अपने गुप्त उद्देश्य के कारण और राज्य सरकार से अपने हितों का टकराव टालने के लिए नौ साल तक चुप्पी साध रखी थी। उन्होंने भट्ट पर सूचनाओं में छेड़छाड़ करने और उसे दबाने का आरोप लगाया था।
उससे पहले भट्ट ने श्रीकुमार पर नानावती आयोग के समक्ष दिये गए अपने बयानों से विरोधाभासी बातें कहने का आरोप लगाया था। आयोग सांप्रदायिक दंगे की जांच कर रहा है। दोनों के बीच तब वाकयुद्ध शुरू हुआ था जब श्रीकुमार ने मंगलवार को आयोग को एक पत्र भेजकर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नौ साल बाद बोलने को लेकर भट्ट की सत्यनिष्ठा पर सवाल खड़ा किया था।
अपने पत्र में श्रीकुमार ने कहा था कि वर्ष 2002 में उन्होंने तत्कालीन पुलिस उपायुक्त भट्ट को आयोग के समक्ष हलफनाम दाखिल करने करने को कहा था। उसके बाद 2004 में भी उन्होंने यही अनुरोध किया था। लेकिन भट्ट ने नहीं माना।
श्रीकुमार के आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भट्ट ने अपनी चिट्ठी में पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी पर आयोग के समक्ष हलफनामे दाखिल करने के दौरान एसआईबी के पास मौजूद कई महत्वपूर्ण सूचनाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, December 29, 2011, 16:49