Last Updated: Tuesday, October 2, 2012, 20:11

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पुडुचेरी विधानसभा द्वारा पारित एक कानून की वैधता को बरकरार रखा है जिसमें भोले-भाले निवेशकों के हित में निजी कंपनियों की संपत्ति जब्त करने का प्रावधान किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने यह देखते हुये कि निर्दोष जनता ने अपनी गाढी कमाई को निहित स्वार्थ के लिये काम करने वाली वित्तीय कंपनियों के हाथों गंवा दिया, निजी कंपनियों की संपत्ति जब्त करने के प्रावधान वाले पुडुचेरी विधानसभा द्वारा पारित कानून को वैध ठहराया है।
मुख्य न्यायधीश अल्तमस कबीर और ज़े चेलामेशर की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि यदि राज्य में ऐसा कानून बना है जो कि संसद में पारित किसी कानून के साथ मेल नहीं खाता है तब भी राज्य के कानून की वैधता बरकरार है बशर्ते कि उस कानून को राष्ट्रपति की संस्तुति प्राप्त हो जाती है।
पीठ ने कहा ‘हमें तीनों कानूनों की फायदा पहुंचाने वाली प्रकृति को ध्यान में रखना होगा। ये कानून छोटे निवेशकों की हितों की रक्षा के लिये बनाये गये हैं। इन निवेशकों ने अपने जीवनभर की गाढ़ी कमाई और बचत पूंजी को लाभ कमाने के उद्देश्य से ऐसी योजनाओं में लगा दिया जो कि स्वार्थी व्यक्तियों और कंपनियों ने जारी की थी। ये कंपनियां निगमित और गैर-निगमित दोनों तरह की थी।’
न्यायमूति कबीर ने फैसले में कहा ‘ऐसा नहीं होना चाहिये, लेकिन निवेशकों ने यहां अपनी पूरी जमा पूंजी गंवा दी।’ शीर्ष अदालत ने इस मामले में मैसर्स न्यू होरिजन शुगर मिल्स लिमिटेड, की याचिका को खारिज कर अपना फैसला सुनाया। कंपनी ने पुडुचेरी विधानसभा में पारित वित्तीय प्रतिष्ठान अधिनियम 2004 के तहत बचतकर्ताओं के हितों की सुरक्षा संबंधी कानून को चुनौती दी थी। इस कानून में पांडिचेरी निधि लिमिटेड की संपत्ति को जब्त करने का प्रावधान किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 2, 2012, 20:11