Last Updated: Tuesday, March 13, 2012, 14:05
हैदराबाद : आंध्र प्रदेश के छह मंत्रियों तथा 11 नौकरशाहों को सर्वोच्च न्यायालय से नोटिस मिलने के बाद राज्य सरकार पसोपेश में है। सरकार दुविधा की स्थिति में है कि वह इनका बचाव करे या इनसे इस्तीफा ले ले। ऐसे में भावी कदम के लिए वह कानूनी परामर्श ले रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने नेल्लोर के वकील पी. सुधाकर रेड्डी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वाईएस राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल में उनके बेटे वाईएस जगनमोहन रेड्डी द्वारा बड़ी मात्रा में सम्पत्ति एकत्र करने में मंत्रियों तथा नौकरशाहों की कथित भूमिका को लेकर उन्हें नोटिस जारी किया था।
इनमें पी. सबिता इंदिरा रेड्डी (गृह), जे. गीता रेड्डी (भारी उद्योग), धरमना प्रसाद राव (पंचायती राज), पन्नला लक्ष्मैया (सूचना प्रौद्योगिकी), कन्ना लक्ष्मीनारायण (कृषि) और मोपीदेवी वेंकटरमन (आबकारी) शामिल हैं। इन मंत्रियों को सर्वोच्च न्यायालय से नोटिस जारी होने के बाद विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे के लिए दबाव बना रहा है। मंगलवार को लगातार दूसरे दिन विपक्ष ने इसे लेकर विधानसभा में हंगामा किया। लेकिन मुख्यमंत्री एन. किरण कुमार रेड्डी के लिए उक्त मंत्रियों से इस्तीफा लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि राज्य की राजनीति में वे कद्दावर नेता हैं।
छह में से चार मंत्रियों ने विधानसभा की लॉबी में बैठक कर आगामी रणनीति भी बनाई। बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की। इस बीच, गीता रेड्डी ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने एक मंत्री के तौर पर नियमों के अनुसार ही आदेश जारी किए। पर्दे के पीछे हुई डील से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 13, 2012, 19:35