मजदूर संगठनों की हड़ताल से एमपी में भी कारोबार ठप्प

मजदूर संगठनों की हड़ताल से एमपी में भी कारोबार ठप्प

भोपाल : केन्द्र सरकार की कतिपय जनविरोधी नीतियों के खिलाफ लगभग सभी श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी ‘आम हड़ताल’ के आज पहले दिन बैंक, बीमा और अन्य व्यावसायिक सेवाओं को मध्यप्रदेश में भी बुरी तरह प्रभावित किया है, जबकि इन संगठनों ने कल ‘भोपाल बंद’ का भी आव्हान किया है।

मध्यप्रदेश में ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता पूषन भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमें अब तक मिली सूचनाओं के तहत संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के एक करोड़ कर्मचारी एवं श्रमिक इस दो दिवसीय हड़ताल में शामिल हुए हैं। इससे बैंकिंग, बीमा, डाक एवं तार तथा अन्य व्यावसायिक सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं’’।

उन्होने कहा कि कुल मिलाकर ग्यारह श्रमिक संगठनों का इस आम हड़ताल को समर्थन हासिल है, जिसका असर बीएचईएल, बीएसएनएल, सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों एवं बीमा कंपनियों के कामकाज पर देखने को मिल रहा है।

भट्टाचार्य ने कहा कि आम लोगों को कल ‘भोपाल बंद’ में शामिल होने की अपील सभी श्रमिक संगठनों ने की है, जिसके लिए सभी वर्गो ने सहयोग का आश्वासन दिया है। हड़ताल में असंगठित क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट, निर्माण श्रमिक, मण्डी हम्माल, पल्लेदार एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। हालाकि स्वास्थ्य और पेट्रोल पंपों जैसी आपात सेवाओं को हड़ताल से छूट दी गई है।

श्रमिक संगठनों के संयुक्त मोर्चा के प्रवक्ता कहा कि श्रमिकों ने कल शाम पुराने भोपाल के व्यस्ततम बाजार छावनी, मंगलवारा, आजाद मार्केट, इतवारा, बुधवारा क्षेत्र में मशाल जुलूस निकाला, जिसमें सैकड़ों श्रमिकों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर श्रमिक नेताओं ने इस हड़ताल को देश के इतिहास की सबसे बड़ी हड़ताली कार्रवाई बताया। नेताओं ने कहा कि मध्यप्रदेश में लगभग दो करोड़ से अधिक श्रमिक हड़ताल पर हैं।

हड़ताली कर्मचारियों एवं श्रमिकों ने आज भोपाल के एतिहासिक यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क से एक विशाल संयुक्त जुलूस निकाला, जो नीलम पार्क पहुंचकर दो दिवसीय पड़ाव में परिवर्तित हो गया।

उन्होने दावा किया है कि इस हड़ताल की वजह से प्रदेश में सभी बैंकों और बीमा के अलावा केन्द्रीय कार्यालय, औद्योगिक क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र की बीएचईएल, कोयला, बिजली, खाद, रक्षा उद्योग इत्यादि पूरी तरह बंद रहे।

उनकी प्रमुख मांगों में महंगाई पर रोक, आर्थिक मंदी की आड़ में रोजगार कटौती बंद करने, श्रम कानूनों का उल्लंघन रोकने, लाभकारी सार्वजनिक उद्यमों में विनिवेश बंद करने, नियमित काम में ठेकेदारी मजदूरी रोकने, न्यूनतम वेतन बढ़ाने, सबकों पेंशन की सुविधा आदि शामिल हैं। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, February 20, 2013, 17:38

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