Last Updated: Wednesday, August 21, 2013, 18:40
कोलकाता : गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने बुधवार को आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अंधाधुंध गिरफ्तारी करा रही हैं, लेकिन गिरफ्तारियों से लोगों के भीतर पृथक गोरखालैंड की भावना नहीं मिट सकती है।
जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा कि गोरखालैंड की मांग गोरखा और अन्य पर्वतीय समुदाय के लोगों की भावना है। इस मनोभाव का आदर करने की जगह मुख्यमंत्री कड़वे लहजे में बात करती हैं और अंधाधुंध गिरफ्तारी की राह अपनाए हुई हैं।
जीजेएम ने दार्जिलिंग पर्वतीय इलाके में अनिश्चितकालीन बंद लागू कर पृथक राज्य के लिए आंदोलन तेज कर दिया है और राज्य की ममता सरकार ने आंदोलन को कुचलने के लिए मोर्चा के प्रमुख नेताओं और सैकड़ों समर्थकों व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया है। क्षेत्र में केंद्रीय बलों को भी तैनात किया गया है।
गुरुं ग ने कहा कि जीजेएम नेताओं की गिरफ्तारी 2011 के त्रिपक्षीय समझौते का उल्लंघन कर किया गया है। 2011 में केंद्र, राज्य और जीजेएम के बीच हुए समझौते के परिणामस्वरूप स्वायत्तशासी पर्वतीय विकास परिषद गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) का जन्म हुआ। गुरुंग ने कहा कि मोर्चा के नेताओं के खिलाफ लंबित मामले को वापस नहीं लेकर सरकार ने समझौते का उल्लंघन किया है। जीटीए का हर अनुच्छेद कहता है `सरकार की मंजूरी से` इससे यही साबित होता है कि जीटीए स्वायत्त नहीं है।
अभी तक 600 लोगों के गिरफ्तार होने को `अभूतपूर्व` करार देते हुए गुरुंग ने कहा कि क्या यही शांतिपूर्ण तरीके से अपनी भावना व्यक्त करने वाले पर्वतीय लोगों के प्रति मुख्यमंत्री का सम्मान प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि लोग स्वेच्छा से जेल जाएंगे लेकिन कितने लोगों को वे गिरफ्तार करेंगे? बनर्जी की यह सोच गलत साबित होगी कि मोर्चा के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने से पर्वतीय क्षेत्र के लोगों की भावना दब जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि मांग और मजबूती होती जाएगी। जैसा 100 वर्षो से भी ज्यादा समय के दौरान मजबूत होती गई है। यह विकास का मुद्दा नहीं है, बल्कि पहचान का मुद्दा है। मुख्यमंत्री इस बात को भलीभांति समझें। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 21, 2013, 18:40