महाकुंभ: पंडालों की भव्यता से तय होती है प्रसाद की हैसियत

महाकुंभ: पंडालों की भव्यता से तय होती है प्रसाद की हैसियत

संगम (इलाहाबाद) : उत्तर प्रदेश में तीर्थराज प्रयाग में लगे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेले में सजे भव्य पांडालों की एक अलग कहानी है। यहां पंडाल की भव्यता से वहां श्रद्धालुओं को दिए जाने वाले प्रसाद की हैसियत तय होती है। यानी जितना महंगा पंडाल उतना ही मंहगा प्रसाद।

महाकुम्भ में विविध छटाओं के दर्शन हो रहे हैं। यहां की हर चीज अपने आप में लाजवाब है। कुम्भ में प्रसाद की जितनी विविधता मिलेगी उतनी आपको कहीं और नही मिलेगी। मेले में इन पंडालों के चक्कर काटते हुए आप अलग-अलग और अनूठे तरके के प्रसादों का रसास्वादन कर सकते हैं।

महाकुम्भ में संतो द्वारा दिया जाने वाला प्रसाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आशीर्वाद की तरह ही है। छोटा हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब प्रसाद सभी के लिए उपलब्ध है। किस दिन किस पर्व पर भक्तों को क्या प्रसाद देना है यह मेले में आने से पहले ही बाबाओं द्वारा तय कर लिया जाता है।

कुछ पंडालों में तो प्रसाद का मेन्यू रोज ही बदलता रहता है। जितने बड़े बाबा उतना महंगा प्रसाद। पंडालों में इलायची के दाने से लेकर बादाम के हलवे तक की व्यवस्था है।

महामंडेलश्वर निर्भयानंद पुरी अपने भक्तों को लखनऊ की चिक्की प्रसाद स्वरूप देती हैं तो योगानंद अपने भक्तों के लिए मथुरा के पेड़े लाए हैं। ब्रहमस्वरूप ब्रहमचारी जहां अपने भक्तों के लिए देशी घी में बने लड्डू देते हैं तो पंचायती और उदासीन अखाड़ों ने बालूशाही और नमकीन बनवा रखे हैं।

एक और महामंडलेश्वर ने अमेरिका और यूरोप से अलग-अलग तरह के फल भक्तों के लिए मंगाए हैं। वह कॉफी के साथ भक्तों को विदेषी फलों का तोहफा देते हैं। अग्नि अखाड़े के पंडाल में मेन्यू बदलता रहता है। किसी दिन प्रसाद में छोल पूरी होता है तो किसी दिन मेवों का हलवा मिलता है।

पंजाब से आए एक बाबा तो अपने साथ पटियाला के रसगुल्ले लेकर आए हैं। इनके यहां भक्तों की काफी भीड़ लग रही है। इसी तरह बाबाओं के विविध रंग के साथ प्रसादों के भी तरह-तरह के स्वरूप इस कुम्भ नगरी में दिखाई दे रहे हैं।

कनाडा से आए प्रवासी भारतीय जयदीप सरीन कहते हैं, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर का अलग ही अंदाज है। वह तो प्रसाद में एक रूद्राक्ष की माला और गेरूआ दुपट्टा देते हैं। मैं भी गया था तो मुझे भी वहां से मिला था। बाकी पंडालों में खाने-पीने की ही चीजें मिलती हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, January 29, 2013, 10:48

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