महाराष्ट्र ATS में कर्मियों की भारी कमी - Zee News हिंदी

महाराष्ट्र ATS में कर्मियों की भारी कमी

मुंबई: महाराष्ट्र का आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) कर्मियों की भारी कमी का सामना कर रहा है और इसके कुल 732 पदों में से 283 रिक्त पड़े हैं। मुंबई हमलों के संबंध में राज्य पुलिस की कार्रवाई की जांच के लिए स्थापित एक समिति द्वारा बल को मजबूत किए जाने की सिफारिश के ढाई साल बाद भी यह स्थिति है।

 

एटीएस के सूत्रों के मुताबिक  एक सितंबर 2011 तक के रिकार्ड के अनुसार आतंकवाद से लड़ने और आतंकी मामलों की जांच के लिए 2004 में स्थापित एटीएस के कुल 732 स्वीकृत पदों में से 283 पद रिक्त हैं।

 

महाराष्ट्र 1993 से लेकर अब तक मुम्बई हमलों सहित छह घातक आतंकी हमले देख चुका है लेकिन फिर भी एटीएस में उपनिरीक्षक के स्वीकृत 90 पदों में से वर्तमान में केवल 10 ही उपनिरीक्षक हैं।

 

सूत्रों ने बताया कि बल में कांस्टेबल के स्वीकृत पद 495 हैं लेकिन मौजूदा समय में इसमें 354 कांस्टेबल ही हैं।  कांस्टेबल जमीनी स्तर पर खुफिया सूचना जुटाने के लिए बल की आंख और कान हैं।

 

सूत्रों ने बताया कि मध्यम स्तर के अधिकारियों की संख्या भी बहुत अच्छी नहीं है। एटीएस में पुलिस अधीक्षक के चार पद स्वीकृत हैं लेकिन इसमें केवल दो ही अधीक्षक हैं । आवश्यक 10 सहायक पुलिस आयुक्तों की बजाय इस पद पर केवल तीन अधिकारी हैं । इसमें पुलिस निरीक्षक 50 होने चाहिए लेकिन वर्तमान में 38 निरीक्षक ही तैनात हैं।

 

छब्बीस नवम्बर 2008 के भीषण आतंकी हमले के बाद राम प्रधान समिति द्वारा अप्रैल 2009 में सौंपी गई रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि एटीएस का स्वरूप और इसके अभियान अस्पष्ट है।

 

समिति ने रिपोर्ट में कहा था ‘सरकार को इस बात को दोहराना चाहिए कि सामान्य तौर पर मुम्बई में और यहां तक कि शेष महाराष्ट्र में सभी आतंकी हमलों की जांच केवल एटीएस द्वारा की जानी चाहिए जब तक कि किसी मामले में कोई अन्य फैसला नहीं होता लेकिन समिति की सिफारिशों के अनुरूप दायित्व को पूरा करने के लिए बल सक्षम प्रतीत नहीं होता ।’

 

महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक के  सुब्रमण्यम ने कहा कि केवल एटीएस ही कर्मचारियों की कमी का सामना नहीं कर रहा है।

 

उन्होंने कहा ‘हम भर्ती प्रक्रिया तेज कर खाली पद भरने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही हमें अतिरिक्त कर्मी मिलेंगे हम सुनिश्चित करेंगे कि एटीएस जैसी शीर्ष जांच इकाइयों तथा अन्य महत्वपूर्ण इकाइयों को वरीयता मिले ।’’ सुब्रमण्यम ने पद नहीं भरे जाने का कारण महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग घोटाले को भी बताया।

 

उन्होंने कहा ‘पुलिस उपनिरीक्षकों की भर्ती घोटाले के चलते कुछ समय से रुकी हुई है ।’ वर्ष 2002 में 400 उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाएं बदल दिए जाने के चलते पुलिस उपनिरीक्षकों की भर्ती की परीक्षाएं रद्द कर दी गई थीं। (एजेंसी)

First Published: Thursday, November 24, 2011, 12:27

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