महाराष्ट्र में बनेगी नई जल नीति

महाराष्ट्र में बनेगी नई जल नीति

मुंबई : महाराष्ट्र सरकार राज्य के कई हिस्सों में भीषण सूखा पड़ने की पृष्ठभूमि में इस साल मानसून से पहले राष्ट्रीय जल नीति के मुताबिक एक नीति तैयार कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय जल नीति में कहा गया है कि राज्य की नीतियां उसके मुताबिक बनाई जाएं या उनकी समीक्षा की जाए।

अधिकारी ने बताया कि सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली सोसायटियों से, गैर सरकारी संगठनों से और पानी का उपयोग करने वाले अन्य पक्षों से सुझाव मांगे हैं ताकि वर्तमान राज्य जल नीति में बदलाव किया जा सके। यह जल नीति वर्ष 2003 से अस्तित्व में है। राष्ट्रीय जल नीति सबसे पहले 1987 में बनाई गई थी और इसमें अप्रैल 2002 में बदलाव किया गया था। इसके मुताबिक, प्रत्येक राज्य को अपनी एक जल नीति बनानी होगी।

राज्य जल नीति की समीक्षा में जल संसाधन विभाग, जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग, पर्यावरण विभाग और महाराष्ट्र जल संसाधन नियामक प्राधिकरण (एनडब्ल्यूआरआरए) शामिल हैं। वर्ष 2003 में राज्य जल नीति में पानी के उपयोग के लिए प्राथमिकता पीने, उद्योगों और सिंचाई को दी गई। बहरहाल, मई 2011 में इसकी समीक्षा कर प्राथमिकता पीने, सिंचाई और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए उपयोग को दी गई।

राज्य जल नीति की समीक्षा के तहत राज्य ने 30 सितंबर 2013 तक सभी संबद्ध विभागों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं। नीति का मसौदा बनाने की प्रक्रिया 30 नवंबर तक पूरी हो जाएगी। समझा जाता है कि अगले साल 30 अप्रैल तक इस बारे में एक कैबिनेट नोट जारी कर दिया जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि नयी राष्ट्रीय जल नीति में कहा गया है कि सुरक्षित पेयजल और साफ सफाई, खाद्य सुरक्षा हासिल करने, आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर निर्धन लोगों की जरूरत पूरी करने और न्यूनतम पारिस्थितिकी के लिए आवंटन को उच्च प्राथमिकता देने के बाद पानी को एक आर्थिक वस्तु के तौर पर समझा जाए ताकि इसके संरक्षण और किफायती उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके। (एजेंसी)

First Published: Sunday, June 16, 2013, 15:26

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