Last Updated: Tuesday, March 12, 2013, 12:13
मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सूखा प्रभावित गांवों से बालू के उत्खनन की इजाजत देने पर पाबंदी लगा दी है और कहा है कि इससे लोगों और जानवरों के लिए पेयजल की कमी पैदा होगी ।
अदालत राजेंद्र एकनाथ धांडे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सोलापुर गांव के करमाला तालुका के सूखा प्रभावित खाटगांव में बालू के उत्खनन पर रोक लगाने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई है ।
मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति अनूप मोहता का मत था कि सूखा प्रभावित इलाकों में बालू के उत्खनन पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए क्योंकि इससे लोग जल पाने के अपने बुनियादी अधिकार से वंचित हो जाएंगे ।
अदालत ने पिछले हफ्ते एक आदेश में कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों में पहले ही पेयजल की कमी है और अगर बालू के उत्खनन की अनुमति दी गई तो इससे समस्या बढेगी ।
न्यायाधीशों ने सोलापुर के जिला परिषद के ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता द्वारा जारी प्रमाण पत्र पर विचार किया जिसमें कहा गया कि सूखा प्रभावित इलाकों में बालू का उत्खनन किऐ जाने से लोगों और जानवरों को पेयजल मिलने में गंभीर समस्या होगी । याचिका पर अगले हफ्ते फिर से सुनवाई होगी । (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 12, 2013, 12:13