महाराष्‍ट्र के डिप्‍टी सीएम अजीत पवार ने दिया इस्‍तीफा

महाराष्‍ट्र के डिप्‍टी सीएम अजीत पवार ने दिया इस्‍तीफा

महाराष्‍ट्र के डिप्‍टी सीएम अजीत पवार ने दिया इस्‍तीफाज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

मुंबई : महाराष्‍ट्र के उप मुख्‍यमंत्री के पद से अजीत पवार ने मंगलवार को इस्‍तीफा दे दिया। सिंचाई मंत्री के तौर पर परियोजनाओं को मंजूरी देने में अनियमितताओं के आरोपों के बाद इस्तीफा दिया। गौर हो कि अजीत पवार का नाम सिंचाई घोटाले में सामने आया था। 20000 करोड़ की सिंचाई परियोजनाओं की मंजूरी को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

उधर, पवार ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को इस्तीफा भेज दिया है लेकिन राकांपा विधायक दल के नेता बने रहेंगे।

2009 में तीन महीने में 32 सिंचाई परियोजनाओं को मंजूदी दी गई थी। परियोजनाओं की मंजूरी में जरूरी प्रकियाएं नहीं अपनाई गई। ज़ी न्‍यूज ने इस घोटाले का खुलासा किया था।

गौर हो कि सीएजी ने महाराष्‍ट्र में सिंचाई घोटाले की जांच शुरू कर दी है। कल मंत्रालय के अधिकारियों से इस घोटाले के सिलसिले में पूछताछ की गई थी।

इस बीच, अजीत पवार ने कहा कि मैंने कोई गलत काम नहीं किया। मैं श्‍वेत पत्र के लिए तैयार हूं। उन्‍होंने कहा कि इस्‍तीफे को लेकर शरद पवार को सूचित कर दिया था। निष्‍पक्ष जांच के लिए इस्‍तीफा दिया है। इस्‍तीफे के लिए कोई दबाव नहीं था, मैंने खुद अपने विवेक से इस्‍तीफा दिया है।
अजीत पवार ने कहा कि वह सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। उन पर राज्य का जल संसाधन मंत्री रहते घोटाले में शामिल रहने का आरोप है।

केंद्रीय मंत्री और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत ने आनन फानन में बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मैंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है। वह इसे मंजूर करने के लिए राज्यपाल को भेजेंगे। हालांकि अजीत ने कहा कि वह तब तक राकांपा विधायक दल के नेता बने रहेंगे जब तक उन्हें विधायकों का समर्थन हासिल है।

उन्होंने कहा कि जब तक उनका नाम पाक साफ साबित नहीं होता वह कोई पद स्वीकार नहीं करेंगे। गठबंधन सरकार में सहयोगी दल कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए अजीत ने कहा कि लोग राकांपा के बढ़ने से जलते हैं। अजीत के मुताबिक उन्होंने उर्जा मंत्रालय राकांपा के मंत्री राजेश टोपे को और वित्त मंत्रालय जयंत पाटिल को देने की सिफारिश की है जो पहले उनके पास थे। खबरों के अनुसार 1999 से 2009 के बीच एक दशक तक जल संसाधन मंत्री रहे अजीत पवार ने 2009 में विदर्भ सिंचाई विकास निगम (वीआईडीसी) की संचालक परिषद की मंजूरी के बिना 20 हजार करोड़ रुपये की 38 परियोजनाओं को मंजूर किया था।

खबरों के मुताबिक पवार और वीआईडीसी के कार्यकारी निदेशक ने परियोजनाओं को नियमों के मुताबिक विचार-विमर्श और मंजूरी के लिए संचालक परिषद के सामने रखे बिना उसे मंजूर कर लिया। परिषद में राज्य के मुख्य सचिव और वित्त, योजना, कृषि और जल संसाधन विभागों के अधिकारी थे। यह भी आरोप है कि निविदाओं को बढ़ी हुई दरों पर मंजूर किया गया लेकिन अजीत ने आरोपों का पूरी तरह खंडन किया है।

First Published: Tuesday, September 25, 2012, 17:22

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