Last Updated: Wednesday, April 25, 2012, 08:20
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने सेना की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है जिसमें 2010 में हुई कथित फर्जी माचिल मुठभेड़ के आरोपियों एक कर्नल और दो मेजरों सहित नौ सैन्यकर्मियों के खिलाफ कोर्ट मार्शल के विकल्प को अपनाने का आग्रह किया गया है ।
न्यायमूर्ति हसनैन मसूदी ने आरोपियों के कोर्ट मार्शल के पक्ष में और कोर्ट मार्शल के खिलाफ सेना के वकील तथा राज्य सरकार के वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया ।
बारामूला जिले के नादिहाल गांव के तीन युवकों रियाज अहमद, मोहम्मद शफी और शहजाद अहमद को कथित फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया था और बाद में उन्हें पाक अधिकृत कश्मीर से आए घुसपैठिये बता दिया गया था ।
मारे गए युवकों को पूर्व विशेष पुलिस अधिकारी बशीर अहमद लोन और उसका सहयोगी यह लालच देकर माचिल लाए थे कि उन्हें मोटी तनख्वाह वाली नौकरी दिलाई जाएगी । लेकिन इन्होंने इन युवकों को 50-50 हजार रुपये में सेना को सौंप दिया। राज्य पुलिस द्वारा इस मामले में 11 लोगों के खिलाफ दायर आरोप पत्र में एक कर्नल और दो मेजरों सहित तीन अधिकारियों के भी नाम हैं ।
आरोप पत्र में कर्नल डीके पठानिया, मेजर मौर्या, मेजर उपिंदर, सूबेदार सतबीर, हवलदार वीर सिंह, सिपाहियों चंद्रभान, नागेंद्र सिंह और नरेंद्र सिंह तथा प्रादेशिक सेना के अब्बास हुसैन शाह तथा दो नागरिकों बशारत लोन तथा अब्दुल हामिद के नाम लिए थे।
कर्नल पठानिया को उनकी यूनिट की कमान से हटा दिया गया था, जबकि सेना द्वारा घटना की आंतरिक जांच के आदेश दिए जाने के बाद मेजर उपेंद्र को निलंबित कर दिया गया था ।
सेना ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जुलाई 2010 में कोर्ट मार्शल के आग्रह को खारिज किए जाने के आदेश के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोपोर के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी थी ।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 25, 2012, 13:50