Last Updated: Friday, November 18, 2011, 14:17
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानमंडल के 21 नवम्बर को शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं। राज्य को चार हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव लाने के सरकार के ऐलान और विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारियों ने इसकी जमीन तैयार कर दी है।
सरकार आगामी विधानमंडल सत्र में राज्य को बुंदेलखंड, पूर्वांचल, अवध प्रदेश तथा पश्चिम प्रदेश में बांटने सम्बन्धी प्रस्ताव पारित कराने का फैसला पहले ही कर चुकी है। वहीं, इसे चुनावी ‘स्टंट’ करार दे रहे विपक्षी दल उत्तर प्रदेश के इन चारों क्षेत्रों के लोगों की महत्वाकांक्षाएं पूरी करने का श्रेय सरकार को नहीं लेना देना चाहते। यह बात दीगर है कि सत्ता पक्ष के पास इस प्रस्ताव को पारित कराने लायक संख्या बल है।
मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) खराब कानून-व्यवस्था एवं भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर चुकी हैं। राज्य विधानसभा में सपा तथा विपक्ष के नेता शिवपाल सिंह यादव ने कहा है कि उनकी पार्टी आगामी सत्र में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल होने के नाते उनकी पार्टी आगामी सत्र में जनता से जुड़े मुद्दों को उठाएगी और सरकार के कुशासन तथा भ्रष्टाचार को सामने लाएगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने भी कहा है कि उनकी पार्टी मायावती सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने जोर देकर कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिये 14 दिन पहले नोटिस दिया जाना चाहिए, लेकिन इस सत्र के इतना लम्बा खिंचने की सम्भावना नहीं दिखती। आगामी सत्र में सरकार अप्रैल से जुलाई 2012 के लेखानुदान मांग प्रस्तुत करेगी, क्योंकि राज्य में अगले विधानसभा चुनाव वर्ष 2012 की पहली तिमाही में होने की सम्भावना है।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि विधानसभा की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में आगामी 20 नवम्बर को सर्वदलीय बैठक कराने का कार्यक्रम तय किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इस सत्र के बमुश्किल दो-तीन दिन चलने की सम्भावना है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 18, 2011, 19:47