Last Updated: Monday, January 7, 2013, 21:37
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती की मांग पर पलटवार करते हुए सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) ने शनिवार को कहा कि अपने ‘काले कारनामों’ की सजा की आशंका से डरी बसपा प्रमुख का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
सपा के प्रान्तीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने यहां कहा कि लोकतंत्र में जनादेश सर्वोपरि होता है और मायावती की लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं है। वह सत्ता खोकर बौखला गई हैं। इसलिए वह कभी उत्तर प्रदेश को अपराध प्रदेश कहती हैं तो कभी लूट के झूठे आरोप लगाती हैं। अब तो उन्होंने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की मांग कर डाली है।
उन्होंने कहा कि मायावती ने अपने शासनकाल में सरकारी धन को जमकर लूटा और मौजूदा अखिलेश यादव सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान से बसपा अध्यक्ष भयाक्रांत हैं। उन्हें अपने काले कारनामों की सजा मिलने का डर सता रहा है। इससे उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया है।
गौरतलब है कि बसपा प्रमुख मायावती ने प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार के साथ-साथ सपा शासनकाल में लगातार हुए दंगों के मामले का राज्यपाल से तत्काल संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की संस्तुति किए जाने की मांग की है।
चौधरी ने भाजपा को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि इस पार्टी को प्रदेश विधानमंडल की उत्तरशती रजत जयन्ती समारोह भी सपा का राजनीतिक कार्यक्रम लगने लगा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद तथा संविधान के विरोधी हैं। उनका आचरण और एजेंडा साम्प्रदायिकता से भरा है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 7, 2013, 21:37