Last Updated: Thursday, July 18, 2013, 14:16
कानपुर : बिहार में मिड डे मील खाने से बच्चों के बीमार पड़ने और मौत हो जाने के बाद कानपुर के कमिश्नर ने भी सरकारी स्कूलों में बांटे जा रहे मिड डे मील की जांच और उनकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं।
कानपुर शहर और उसके आसपास में करीब 2000 से अधिक सरकारी स्कूल है जहां पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील दिया जाता है। शहर में ज्यादातर स्कूलों को मिड डे मील देने का काम स्वंय सेवी संस्थाओं (एनजीओ) के जरिये होता है। कानपुर के कमिश्नर महेश गुप्ता ने शिक्षा विभाग से जुड़े सभी अधिकारियों से कहा है कि बरसात का मौसम देखते हुए मिड डे मील की शुद्धता और गुणवत्ता (क्वालिटी) पर विशेष ध्यान दिया जाए। अधिकारी खुद स्कूलों का औचक निरीक्षण करें और देखें कि बच्चों को दोपहर में जो भोजन दिया जा रहा है उसकी क्वालिटी कैसी है।
उधर, शिक्षा विभाग ने भी शहर के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील बांटने वाली स्वंय सेवी संस्थाओं की एक बैठक बुलाई है। साथ ही विभाग ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य और शिक्षकों को कहा कि बच्चों को मिड डे मील दिए जाने से पहले वह खुद चखकर देखें उसके बाद ही उसे बच्चों को बांटे। इसके अलावा इस काम में लगी एनजीओ से भी कहा गया कि उसके अधिकारी एवं कर्मचारी पहले खाना खुद चखें उसके बाद ही उसे संबंधित स्कूल में बच्चों में वितरित करने के लिये भेजें। (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 18, 2013, 14:16