Last Updated: Saturday, September 24, 2011, 13:16
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने हरियाणा के मिर्चपुर गांव में पिछले साल 70 वर्षीय एक दलित और उसकी विकलांग बेटी को जिंदा जला देने के मामले में आरोपी बनाए गए 97 में से 15 लोगों को शनिवार को विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत दोषी करार दिया. हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने इन 15 आरोपियों को हत्या के मामले में दोषी करार नहीं दिया है.
कुलविंदर, रामफल और राजेन्दर को 21 अप्रैल को ताराचंद के घर को आग के हवाले करने को लेकर आईपीसी की धारा 304 के तहत दोषी करार दिया गया. गांव के प्रभावी जाटों और दलितों के बीच जातीय विवाद के बाद यह घटना हुई थी. इन 15 आरोपियों में से 12 को आगजनी, दंगा करने और गैर कानूनी रूप से एकत्र होने के आरोप में दोषी करार दिया गया. अदालत ने अपने फैसले में इस मामले में हरियाणा पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा, ‘जिस तरह से पूरे मामले को निपटाया गया वह अनुचित है.’
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ दिसंबर को इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था. हरियाणा में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होने की पीड़ितों की अर्जी पर ऐसा किया गया था. न्यायाधीश ने कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते कई आरोपियों को फंसाए जाने की संभावना खारिज नहीं की जा सकती है. अदालत ने हिसार जिले के नारनौंद पुलिस थाना के प्रभारी विनोद के. काजल सहित 82 आरोपियों को निर्दोष करार दिया.
गौरतलब है कि 21 अप्रैल 2010 को हरियाणा के हिसार जिले के मर्जपुर गांव में दो समुदायों के बीच हुए संघर्ष में दो दलितों की मौत हो गई थी.
दंगाइयों ने दलितों के घरों में आग लगा दी. इस आगजनी और हत्याकांड में 70 साल के तारचंद और उसकी 18 साल की विकलांग पुत्री की मौत हो गई थी.
First Published: Saturday, September 24, 2011, 22:37