मुजफ्फरनगर दंगे पर सियासत, अखिलेश को दिखी साजिश, मृतकों की संख्या हुई 31

मुजफ्फरनगर दंगे पर सियासत, अखिलेश को दिखी साजिश, मृतकों की संख्या हुई 31

मुजफ्फरनगर दंगे पर सियासत, अखिलेश को दिखी साजिश, मृतकों की संख्या हुई 31मुजफ्फरनगर/लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में भड़की सांप्रदायिक हिंसा अब पड़ोसी जिले शामली तथा अन्य इलाकों में फैल गयी जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 पहुंच गई। इलाके में तीसरे दिन भी कर्फ्यू जारी रहा और सेना ने फ्लैग मार्च किया।

चौतरफा हमले का सामना कर रही राज्य की अखिलेश यादव सरकार ने देर शाम (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग गठित करने की घोषणा की। यह जानकारी लखनऊ में संवाददाताओं को गृह सचिव कमल सक्सेना ने दी।

प्रधान सचिव (गृह) आर एम श्रीवास्तव ने लखनऊ में कहा, ‘मुजफ्फरनगर और अन्य हिस्सों में हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है।’ हिंसा प्रभावित इलाकों में पीएसी और सशस्त्र बल की गश्त जारी रहने के बावजूद कई जगह हिंसक वारदात हुई। शामली के जिलाधिकारी पी के सिंह ने कहा कि हिंसा पड़ोसी शामली जिले में भी फैल गई है जहां एक धर्मगुर की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

घटनाओं को लेकर चिंतित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात की और उन्हें स्थिति से निपटने के लिए सभी सहायता मुहैया कराने का भरोसा दिया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से मुजफ्फरनगर की स्थिति के बारे में प्रत्येक 12 घंटे पर रिपोर्ट देने को कहा है। गृह मंत्रालय ने इसके साथ ही राज्य सरकार से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त बल तैनात करने को कहा जहां हिंसा पर अभी काबू पाना बाकी है।

घटनाओं के सिलसिले में 17 प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं। इनमें से एक प्राथमिकी सुखेडा गांव में आयोजित हुई महापंचायत के सिलसिले में है जिसमें कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिये गए जिससे हिंसा हुई।

केंद्र ने संभावित साम्प्रदायिक घटनाओं के बारे में गुप्तचर सूचना मिलने के बाद 11 राज्यों को अलर्ट किया था। यह पूछे जाने पर कि क्या हिंसा के लिए क्या मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराये जा सकता है, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि उन्होंने (अखिलेश यादव) ने इन चेतावनियों को नजरंदाज किया।’

केंद्रीय मंत्री एवं रालोद प्रमुख अजित सिंह, भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद और पार्टी के दो अन्य सांसदों को पुलिस ने गाजियाबाद में उस समय रोक लिया और हिरासत में ले लिया जब वे हिंसा प्रभावित जिले का दौरा करने के लिए उत्तर प्रदेश में प्रवेश का प्रयास कर रहे थे।

इस बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें विपक्ष ने राज्य सरकार पर हिंसा रोकने के लिए समय रहते कदम उठाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया जबकि सत्ताधारी समाजवादी पार्टी ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि उसके प्रतिद्वंद्वी साम्प्रदायिक गड़बड़ी को हवा देने का प्रयास कर रहे हैं।

रविवार रातभर की कार्रवाई में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और भाजपा विधायक दल के नेता हुकुम सिंह, पार्टी विधायकों सुरेश राणा, भारतेंदु, संगीत सोम और कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक सहित 1000 लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए मामले दर्ज किये गए हैं।

प्रशासन ने जिले के भोरकला, शाहपुर, फुगना और कुछ अन्य क्षेत्रों में 1744 हथियारों के लाइसेंस रद्द कर दिये हैं। हिंसा को लेकर कड़ी आलोचना झेल रही उत्तर प्रदेश सरकार ने सहारनपुर के डीआईजी, मुजफ्फरनगर के एसएसपी और शामली के पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को स्थानांतरित कर दिया है। हिंसा प्रभावित मुजफ्फरनगर सहारनपुर रेंज में आता है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अरुण कुमार ने मुजफ्फरनगर में संवाददाताओं से कहा, ‘हम फुगना, शाहपुर, धौरकलां में हथियारों के और लाइसेंस भी रद्द कर रहे हैं क्योंकि उनका हिंसा के दौरान दुरुपयोग किया जा रहा था।’
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी एल जोशी ने मुजफ्फरनगर हिंसा पर केंद्र को एक रिपोर्ट भेजी है जिसके बारे में लखनऊ में सूत्रों ने कहा कि उसमें प्रशासनिक खामियों के साथ ही वहां की वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।

इस बीच, मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा कि मुजफ्फरनगर जिले के मीरपुर नगर में आज एक व्यक्ति की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई।

शर्मा ने कहा, ‘उपद्रवियों ने एक व्यक्ति की धारदार हथियार से हमला करके हत्या कर दी और एक को घायल कर दिया।’ उन्होंने बताया कि इस मामले में कम से कम छह लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि सहारनपुर में भी एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई।

अधिकारियों ने बताया कि सहारनपुर में भी एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई। एक शव तितावी में मिला। अधिकारियों ने बताया कि सेना ने शाहपुर, खतौली, पुरकाजी, मारीपुर और शामली क्षेत्रों में फ्लैग मार्च किया।

गृह राज्य मंत्री आर पी एन सिंह ने दिल्ली में कहा कि सैन्य कर्मियों के अलावा अर्धसैनिक बल के पांच हजार जवानों को पहले ही उत्तर प्रदेश के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में भेजा जा चुका है। उन्होंने कहा, ‘यदि जरूरी हुआ तो हम और बलों को भेजने के लिए तैयार हैं।’ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा कि मुजफ्फरनगर में एक बार स्थिति सामान्य होने पर वह वहां साम्प्रदायिक दंगों के मामले की जांच करेगा।

आयोग के अध्यक्ष के जी बालकृष्णन ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों से यदि कोई कथित मानवाधिकार उल्लंघन की बात सामने आती है तो आयोग उस पर संज्ञान लेगा। अजित सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, ‘इस घटना से पहले शामली में एक घटना हुई थी। यदि प्रशासन ने उस समय उचित कदम उठाये होते और लोगों को यह महसूस कराया होता कि न्याय होगा तो यह स्थिति उत्पन्न ही नहीं हुई होती।’

बाद में नागरिक उड्डयन मंत्री और उनके पुत्र एवं मथुरा से सांसद जयंत चौधरी ने दिल्ली लौटने का निर्णय किया। भाजपा ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी नीत उत्तर प्रदेश प्रशासन ने भेदभावपूर्ण तरीके से काम किया है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी सपा सरकार पर हमला बोला और उस पर कई मोचरें पर चूकने का आरोप लगाया। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 9, 2013, 22:53

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