Last Updated: Friday, January 20, 2012, 14:18
लखनऊ: कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने समाजवादी पार्टी के घोषणा पत्र में मुसलमानों को उनकी आबादी के अनुपात में आरक्षण दिये जाने के बारे में उसके मुखिया मुलायम सिंह यादव की गंभीरता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वे केवल वादा कर रहे है उसे पूरा नहीं करेंगे।
सिंह ने शुक्रवार को लखनऊ में संवाददाताओं से कहा, ‘जहां तक मैं समझता हूं मुलायम सिंह यादव यह जरुर जानते है कि मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी। क्या लोकसभा में 21 सदस्यों वाली क्षेत्रीय पार्टी सपा ऐसा कर सकती है।’
उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण तब दिया जायेगा, जब लोकसभा में समाजवादी पार्टी का बहुमत होगा।
वर्ष 2003 में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए पूर्व भाजपा नेता कल्याण सिंह की पार्टी के साथ सपा के गठबंधन की ओर इशारा करते हुए, कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उन्होंने सरकार बनाने के लिए बाबरी मस्जिद को शहीद करने वाले एक नेता को न सिर्फ गठबंधन में शामिल किया, बल्कि अपनी सरकार में उसके बेटे को मंत्री भी बना दिया।’
सिंह ने दावा किया कि यहां तक कि मुलायम ने राष्ट्रीय लोकदल नेता अनुराधा चौधरी को भी अपनी पार्टी में शामिल कर लिया, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर की एक जनसभा में मुसलमानों को ‘तालिबानी’ तक कह दिया था।
कांग्रेस महासचिव ने व्यंग्य करते हुए कहा, ‘मुलायम भाजपा के समर्थन के लिए एक दरवाजा हमेशा खुला रखते हैं।’’ उन्होंने बसपा मुखिया और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्होंने मुस्लिम आरक्षण के लिए प्रधानमंत्री को पत्र तो लिखा, मगर जो वह अपने राज्य में कर सकती थीं वह नहीं किया।
वर्ष 1990 में भाजपा द्वारा तत्कालीन विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार से समर्थन वापस लिये जाने का उल्लेख करते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘‘आज पिछड़े वर्गो के प्रति अपनी सहानुभूति दिखा रही भाजपा को यह बताना चाहिए कि उसने वीपी सिंह सरकार से किस कारण से समर्थन वापस लिया था, जिसके बाद कि उनकी सरकार गिर गयी थी।’
उन्होंने कहा कि केंद्र में संप्रग सरकार बनने पर मुसलमानों की सामाजिक आर्थिक स्थिति के अध्ययन के लिए सच्चर कमेटी का गठन किया गया और उसने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मुसलमानों की सामाजिक शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति तो दलितों से भी खराब है।
सिंह ने कहा कि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद संप्रग सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय का गठन किया और अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति की योजना शुरु हुई और आरक्षण का प्रस्ताव लाया गया। उन्होंने कहा कि यह आरोप गलत है कि सच्चर कमेटी की सिफारिशों पर अमल नहीं हुआ, क्योंकि उसके आधार पर केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चला रखी है।
उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन घोटाले के बारे में उन्होंने कहा कि जांच में परत दर परत खुल रही है, लेकिन अभी तक केवल अधिकारी मंत्री और ठेकेदार जैसी छोटी मछलियां ही जाल में आयी है। उन्होंने कहा कि देखने की बात यह है कि यह जांच मुख्यमंत्री सचिवालय के पंचम तल पर कब पहुंचती है।
सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने हजारों करोड़ रुपया भेजा, लेकिन वह घोटालों की भेंट चढ़ गया और यदि उसका सदुपयोग होता तो गोरखपुर और महाराजगंज अंचल में फैलने वाले दिमागी बुखार जैसी बीमारियों की रोकथाम और ग्रामीणों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने में बहुत काम हो सकता था।
समाजवादी पार्टी द्वारा अपने चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर 10वीं पास करने पर छात्र-छात्राओं को टैबलेट पीसी और 12वीं पास करने पर लैपटाप दिये जाने के वादे के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि देर आये दुरुस्त आये।
उन्होंने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा कम्प्यूटर को बढ़ावा दिये जाने का जबरदस्त विरोध किया था। अच्छा है कि उन्हें सद्बुद्धि आ गयी, भले ही पुत्र अखिलेश यादव के प्रभाव में आयी हो।’
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 20, 2012, 22:13