Last Updated: Sunday, June 30, 2013, 19:11

देहरादून : उत्तराखंड में इस बात को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या बड़ी संख्या में मारे गये लोगों की जान बचायी जा सकती थी। इन सवालों के बीच मौसम विभाग ने रविवार को कहा कि उसने ‘समय रहते ही’ भारी वर्षा और भूस्खलन की चेतावनी जारी कर दी थी जबकि राज्य सरकार ने दावा किया कि ‘इस पैमाने के संकट’ के बारे में पर्याप्त पूर्व संकेत नहीं थे।
उत्तराखंड के मौसम विभाग के निदेशक आनन्द शर्मा ने कहा कि उन्होंने 14 जून से ही अगले कुछ दिनों के लिए परामर्श जारी कर दिये थे। साथ ही यह सुझाव भी दिया गया था कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की चारधाम यात्रा को चार-पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया जाये।
उन्होंने कहा,‘14 से हमने भारी वर्षा की चेतावनी देना शुरू कर दिया था। 15 के लिए हमने काफी भारी वर्षा की चेतावनी जारी की थी। हमने यह भी कहा था कि आप यात्रा को 4-5 दिन के लिए स्थगित कर सकते हैं, 16 को हमने कहा कि भारी से बेहद भारी वर्षा होगी और हमने क्षेत्रों को विशेष तौर पर उजागर किया था।’
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने स्वीकार किया कि मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की थी। लेकिन प्राकृतिक आपदा की मात्रा के कारण अधिकारी बहुत सीमित प्रयास कर सकते थे क्योंकि क्षेत्रों में लाखों लोग बिखरे हुए थे।
मंत्री ने कहा कि हमारे पास पूर्व सूचना थी लेकिन इतनी बड़े पैमाने पर संकट होने का कोई संकेत नजर नहीं आ रहा था।
उत्तराखंड के आपदा प्रबंधन मंत्री आर्य ने कहा, ‘लाखों लोग विभिन्न स्थलों पर थे। विभाग क्या कर सकता था। हमने अपना सर्वोत्तम किया और हम यह करना जारी रखेंगे।’ बहरहाल, शर्मा ने कहा कि चेतावनी इतनी विशिष्ट नहीं थी और पहले से यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि ऐसी परिस्थितियों में स्थिति किस तरह बने।
उन्होंने कहा कि राज्य मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि लोगों को पर्वतों में जाने से परहेज करना चाहिए और ऊंचाइयों पर पहले ही पहुंच चुके लोगों को सुरक्षित स्थलों पर चले जाना चाहिए। लेकिन उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस तरह की चेतावनी से लोगों को कम ही मदद मिल पाती है क्योंकि वे यात्रा कर रहे थे और उनके पास किसी तरह के संचार की व्यवस्था तक पहुंच बेहद कम थी।
क्या राज्य सरकार परामर्श पर तत्परता से काम करने में विफल रही, इस सवाल के जवाब में शर्मा ने बताया, ‘यहां आपदा प्रबंधन अधिकारी चेतावनी को लेकर अवगत थे। मैं यह कैसे कह सकता हूं कि राज्य सरकार ने चेतावनी पर काम किया या नहीं।’
शर्मा ने कहा कि उन्होंने अखबार की खबरों में पढ़ा था कि मुख्य सचिव ने लोगों से कहा था कि मौसम विभाग की खराब मौसम के पूर्वानुमान के मद्देनजर वे चारधाम की यात्रा पर नहीं जायें।
आपदा के कारण बड़े पैमाने पर मानवीय जीवन और संपत्ति को हुए नुकसान के बारे में शर्मा ने कहा कि यह मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद हो सकता था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 30, 2013, 19:11