यात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की थी आशंका : अखिलेश

यात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की थी आशंका : अखिलेश

यात्रा से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की थी आशंका : अखिलेश लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विहिप की चौरासी कोसी यात्रा पर लगाये गये प्रतिबंध को जरुरी बताते हुए कहा कि यह कोई धार्मिक यात्रा न होकर धर्म की आड़ में ‘राजनीतिक यात्रा’ थी, जिससे प्रदेश का साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका थी।

अखिलेश ने कहा, ‘विश्व हिन्दू परिषद का इस यात्रा के पीछे लेश मात्र भी कोई धार्मिक भाव नहीं था बल्कि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर इस यात्रा का राजनीतिक नाटक रचा गया। सरकार ने गहन समीक्षा के बाद यात्रा के राजनीतिक मंचन पर प्रतिबंध लगा दिया।’

उन्होंने कहा कि विहिप नेता अशोक सिंघल ने पत्र देकर मिलने का समय मांगा था जिसमें उन्होंने 84 कोसी परिक्रमा को निकाले जाने का अनुरोध किया।

अधिकारियों ने सिंघल के अनुरोध पर यात्रा की जब समीक्षा की तो यह बात सामने आयी कि इससे पूर्व कभी भी चातुर्मास में यात्रा निकाले जाने की कोई परम्परा नहीं रही है।

व्यंगात्मक लहजे में अखिलेश ने कहा, ‘यह यात्रा धार्मिक नहीं पूरी तरह राजनीतिक यात्रा का आयोजन था और साधु-संतों को मोहरा बनाया गया।’

उन्होंने कहा कि जब समीक्षा की गयी तो यह बात भी सामने आयी कि यात्रा 84 कोसी के बजाय 100 कोसी प्रस्तावित थी, जिससे साफ है कि यात्रा को धार्मिक लबादा पहनाकर राजनीतिक मकसद पूरा करना था।

यह पूछे जाने पर कि इस यात्रा पर लगाये गये प्रतिबंध को लेकर विहिप के साथ -साथ साधु-संत भी नाराजगी जता रहे हैं, मुख्यमंत्री ने कहा कि विहिप का तो मकसद ही राजनीतिक था जहां तक साधु-संतों की बात है एक नहीं अनेकों संतों ने भी चतुर्मास में यात्रा को अच्छा नहीं माना। उन्होंने कहा कि सामान्य रूप से हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार छोटे मोटे संस्कारों के आयोजन से पूर्व मुहुर्त निकलवाया जाता है, लेकिन इस यात्रा का यह समय कैसे संतों ने तय कर दिया यह तो वहीं जाने।

इस यात्रा प्रकरण पर विपक्ष के ‘मैच फिक्सिंग’ के आरोप के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसी बात करने वाले लोग गैर जिम्मेदार हैं।’

यह पूछे जाने पर कि विहिप अयोध्या में पिछले दशकों से ऐसे आयोजन करती रही है, लेकिन कभी भी इस संगठन के नेताओं ने मुख्यमंत्रियों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर अनुरोध नहीं किया, इस पर अखिलेश यादव ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी मुख्यमंत्री से या मुख्यमंत्री किसी से मिल सकता है। फिर अशोक सिंघल ने लिखित रूप से मिलने का समय मांगा था, इस पर भी अगर आलोचना की जाये तो इसे घटिया मानसिकता ही कहा जा सकता है। (एजेंसी)

First Published: Monday, August 26, 2013, 19:17

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