Last Updated: Wednesday, September 5, 2012, 13:18
लखनऊ : पदोन्नति में आरक्षण देने सम्बंधी संशोधन विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के खिलाफ बुधवार को उत्तर प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों के करीब 18 लाख सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। हालांकि जरूरी सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है।
सर्वजन हिताय संघर्ष सिमित के बैनर तले उत्तर प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी कार्य बहिष्कार कर पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं। हड़ताली कर्मचारी अपने-अपने कार्यालयों के बाहर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। कई जगहों पर सरकारी दफ्तरों में ताले लटक गए हैं।
समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने संवाददाताओं से कहा कि हम हड़ताल से आम आदमी को कोई परेशानी नहीं देना चाहते हैं इसलिए बिजली पानी और परिवहन जैसी मूलभूत सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है। इन सेवाओं पर हम कोई प्रभाव नहीं पड़ने देंगे। दुबे ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण देने का फैसला गैर संवैधानिक है। इसे वोट की राजनीति के लिए लागू करने की कोशिश की जा रही है। हम इसे किसी भी सूरत में लागू नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक को आज राज्यसभा में पेश कर इस पर चर्चा कराई तो हम कल भी कार्य बहिष्कार जारी रखेंगे। दुबे ने बताया कि हमारी देश के दूसरे राज्यों के कर्मचारी संगठनों से भी बात हो रही है। अगर केंद्र सरकार नहीं मानी तो देशभर में कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे। अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) से संबंध रखने वाले सरकारी कर्मचारी हड़ताल में शामिल नहीं है। वो काम पर हैं। उत्तर प्रदेश में कुल करीब 18 लाख कर्मचारी हैं। जिसमें से तकरीबन दो लाख एससी और एसटी से संबंध रखते हैं।
उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख दल इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं जहां सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी भी पदोन्नति में आरक्षण का विरोध कर रही है वहीं प्रमुख विपक्षी दल-बहुजन समाज पार्टी इसके समर्थन में है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रमिंडल ने अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) को सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति के लिए आरक्षण मुहैया कराने से सम्बंधित संशोधन विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 5, 2012, 13:18