Last Updated: Friday, March 1, 2013, 10:36
लखनऊ : प्रदेश के प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार सदाकान्त ने कहा कि देश व प्रदेश में बच्चियों के जन्म का अनुपात तथा उनकी स्वास्थ्य रक्षा एक बड़ी चुनौती है। परिवार एवं समाज में लड़कियों के प्रति धारणा को बदलना होगा तथा उनके अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा। वर्ष 2011 में उत्तर प्रदेश का लिंगानुपात 899 दर्ज किया गया।
सदाकान्त ने यह बात निपसिड के सभागार में आयोजित `शिशु लिंग अनुपात में सुधार हेतु क्षेत्रीय परामर्श` विषयक एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन के बाद कहीं। उन्होंने कहा कि कस्बों और शहरों में कन्या भ्रूण हत्या को कड़ाई से रोकना होगा। साथ ही प्रत्येक बच्ची के जन्म का पंजीकरण कराना तथा उनमें व्याप्त कुपोषण को दूर करना होगा।
उन्होंने कहा कि जहां पर महिलाओं का सम्मान होगा वहां कन्या भ्रूण हत्या का अनुपात कम होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बच्चियों को बचाने का प्रयास चल रहा है। चाहें वह चिकित्सक स्तर पर हो या परिवार व किसी भी स्तर पर हो, इस पर हर स्तर से कड़ाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लड़कियों को बढ़ावा देने हेतु कन्या विद्याधन दिया जा रहा है ताकि बच्चियों को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित किया जा सके। पढ़ी लिखी बच्ची एक अच्छी मां साबित होगी।
इस अवसर पर उपस्थित भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास सचिव प्रेम नारायन ने कहा कि समाज में व्याप्त महिलाओं के प्रति भेदभाव को खत्म करने की जरूरत है। उन्हें हर कदम पर बराबरी का अधिकार देना होगा। बच्चियों के माता-पिता को सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ उनके जीवन की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना होगा। वर्ष 2011 में देश का लिंगानुपात 940 (1000) तथा 0-6 वर्ष के बीच की आयु में 914 था। जिसमें शहरों की 902 तथा गांव-देहात का 919 है। उत्तर प्रदेश का लिंगानुपात 899, गुजरात का 886, जम्मू कश्मिर का 859, हरियाणा का 830 था, देश के 640 जिलों में से 461 जिलों का जन्मानुपात काफी कम है जिसमें हरियाणा में 0-6 वर्ष के बच्चों का लिंगानुपात 774 (1000) है। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 1, 2013, 10:36