रेड्डी सरकार पर खतरा गहराया - Zee News हिंदी

रेड्डी सरकार पर खतरा गहराया

हैदराबाद : आंध्रप्रदेश की किरण कुमार रेड्डी सरकार के लिए खतरे की घंटी बजने लगी है क्योंकि हाल में कांग्रेस पार्टी में विलय होने वाली प्रजा राज्यम पार्टी (पीआरपी) के 17 विधायकों ने पार्टी में उनके साथ हो रहे बर्ताव को लेकर आज गंभीर नाखुशी जाहिर करते हुए बगावत का झंडा थाम लिया।

 

यह अप्रत्याशित कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब विधानसभा ने मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के अविश्वास प्रस्ताव को चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया है और कांग्रेस अपने विधायकों जगनमोहन रेड्डी की अगुवाई वाली वाईएसआर कांग्रेस के खेमे से अपने पाले में लाने में जुटी है। कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाते हुए जगनमोहन ने कहा कि उनकी पार्टी के सदस्य अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेंगे, चाहे उन्हें अयोग्य ही क्यों न कर दिया जाए। कांग्रेस के 21 विधायक जगनमोहन के पक्ष में बताए जाते हैं।

 

जगनमोहन के साथ आज शाम अपनी बैठक समाप्त होने के बाद इन विधायकों में एक पिल्ली सुभाष चंद्र बोस ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम अपने नेता जगन के फैसले का पालन करेंगे। हमें इस बात की परवाह नहीं है कि अविश्वास प्रस्ताव किसने लाया है। हम इसके पक्ष में मतदान करेंगे क्योंकि इस सरकार की वजह से राज्य के किसान अधर में हैं।’ चिरंजीवी खेमे के घटनाक्रम से किरण कुमार रेड्डी सरकार हतप्रभ है और बताया जाता है कि दो वरिष्ठ मंत्रियों ने स्थिति का पता लगाने के लिए अभिनेता से नेता बने चिंरजीवी से बातचीत का प्रयास शुरू कर दिया है।

 

पीआरपी के संस्थापक तिरुपति के विधायक के. चिरंजीवी ने माना है कि उनके विधायकों के साथ जो कुछ हो रहा है, उससे वे पूरी तरह खुश नहीं हैं। तकनीकी कारणों से विधानसभा में अब भी पीआरपी समूह समझे जा रहे इन विधायकों ने विधायक दल कार्यालय में आज बैठक की और कांग्रेस के रूखे व्यवहार पर अपनी गंभीर नाराजगी जाहिर की।

 

बैठक में विधायकों ने चिरंजीवी से कहा, ‘‘हमारे समर्थन की वजह से ही किरण कुमार रेड्डी सरकार बची हुई है। हमने अहम समय में उन्हें समर्थन दिया लेकिन सरकार में कोई भी हमारा ध्यान नहीं रख रहा है। कांग्रेस में पीआरपी का विलय कर हम संभवत: भूल कर बैठे।’ चिरंजीवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमारे समर्थन के वजह से ही यह सरकार बची हुई है। लेकिन अब हमारे विधायकों का मोह भंग हो गया है।’

 

कई विश्लेषक चिरंजीवी खेमे के बगावत को कांग्रेस पर विलय के समय पीआरपी से किए गए वादों को पूरा कराने के लिए दबाव डालने की रणनीति के रूप में देख रहे हैं। बताया जाता है कि पीआरपी को मंत्रिमंडल में तीन
कैबिनेट मंत्री तथा चिरंजीवी को राज्य या केंद्र में उचित पद देने का वादा किया गया था। (एजेंसी)

First Published: Saturday, December 3, 2011, 22:30

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