Last Updated: Tuesday, April 23, 2013, 22:32
नई दिल्ली : एक सरकारी अस्पताल के एक चिकित्सक ने मंगलवार को एक विशेष अदालत से कहा कि 16 दिसंबर की सामूहिक बलात्कार पीड़िता को सिंगापुर के अस्पताल में स्थानांतरित करने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि गंभीर मामलों का वहां सर्वश्रेष्ठ इलाज होता है और वहां अंग प्रतिरोपण की सुविधा भी उपलब्ध थी।
सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना की अदालत में गवाही दी कि सिंगापुर स्थित माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल इस तरह की स्थिति में 23 वर्षीय पीड़िता को स्वीकार करने और इलाज देने को तैयार था।
चिकित्सक ने अदालत से कहा कि इलाज कर रहे चिकित्सकों ने सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल के चिकित्सकों से संपर्क किया था और वे इस तरह की स्थिति में मरीज को स्वीकार करने के लिए तैयार थे। उन्होंने अदालत से कहा कि चूंकि माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल के पास गंभीर मामलों के इलाज और अंग प्रतिरोपण के लिए सर्वश्रेष्ठ सुविधा है इसलिए मरीज को स्थानांतरित करने का फैसला किया गया था।
उन्होंने कहा कि अंग प्रतिरोपण सुविधा सफदरजंग अस्पताल में अब तक उपलब्ध नहीं है और इस बात की जानकारी नहीं है कि क्या गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में इस तरह का इलाज उपलब्ध है। इससे पहले, आरोपी के वकील ने दावा किया था कि पीड़िता की दिल्ली में ही मृत्यु हो गई थी और उसे सिर्फ उन लोगों को गुमराह करने के लिए सिंगापुर भेजा गया था जो 16 दिसंबर की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। आरोपी पवन गुप्ता के वकील विवेक शर्मा द्वारा जिरह किए जाने के दौरान चिकित्सक ने अदालत को बताया कि वे पीड़िता को सर्वश्रेष्ठ इलाज प्रदान कर रहे थे क्योंकि सरकार उसके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित थी और यहां तक कि लोकसभा सचिव ने उसे सर्वश्रेष्ठ संभव इलाज प्रदान करने के लिए एक पत्र भी लिखा था। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 23, 2013, 22:32