Last Updated: Wednesday, June 13, 2012, 13:56

मुंबई : लिंग परीक्षण के लिए तय मानकों का पालन नहीं करने का बहाना बनाकर चिकित्सकों का उत्पीड़न करने की बात कहते हुए बंबई हाईकोर्ट ने निचली अदालत में महाराष्ट्र के बीड जिले के एक चिकित्सक दंपति के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त निदेशक और राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि अगर चिकित्सकों से कोई छोटी गलती भी हो जाती है तो स्थानीय अधिकारी मशीन सील कर देते हैं और उन पर अभियोजन शुरू कर देते हैं। न्यायमूर्ति एवी निरगुडे ने डॉक्टर दंपति की याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि यह भी लगता है कि इस तरह की कार्रवाई से चिकित्सकों का उत्पीड़न होता है।
न्यायाधीश ने कहा कि अपने पहले के आदेशों में मैंने विशेष रूप से कहा कि चूंकि कानून के प्रावधान काफी कड़े हैं, इसलिए उपयुक्त अधिकारियों को चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सतर्कता बरतनी चाहिए।
बीड के पारली वैजनाथ में क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर अल्का गीते और डॉ. अनंत गीते पर प्री कंसेप्शन एवं प्री नटल डायग्नोस्टिक टेक्निक :लिंग परीक्षण निषेध: कानून की धारा 23 :एक:, 25 और 29 के तहत मामला दर्ज किया गया। 16 जून 2011 को कानून के प्रावधानों के तहत पारली वैजनाथ के अधिकारियों ने क्लिनिक का दौरा किया और रिकार्डों की जांच के बाद पाया कि चिकित्सकों ने रोगियों के फॉर्म ‘एफ’ को नहीं भरा है जो आवश्यक होता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 13, 2012, 13:56