Last Updated: Tuesday, October 16, 2012, 22:43

चंडीगढ़ : राबर्ट वाड्रा भूमि विवाद के चलते वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका के तबादले के कारण आलोचनाओं में घिरी हरियाणा सरकार ने मंगलवार को कहा कि उसके निर्णय में कोई दुर्भावना नहीं है तथा उसने अधिकारी द्वारा उठाए गए मुद्दे पर जांच के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार ने खेमका द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर जांच के आदेश दिए हैं। जांच समिति अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई में बनाई गई है। इसके दो सदस्य राज्य सरकार से होंगे। समिति को एक माह के भीतर काम पूरा करने को कहा गया है।
गौर हो कि खेमका ने हरियाणा के चार जिलों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद के सभी भूमि सौदों की जांच का आदेश दिया, जिसके बाद उन्हें महानिरीक्षक पंजीकरण के पद से हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि उन्हें ईमानदार होने और घोटालों का बेनकाब करने के कारण उन्हें दंडित किया जाना, सरासर गलत है।
हरियाणा के मुख्य सचिव पीके चौधरी ने यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि खेमका के तबादले के निर्णय में कोई ‘द्वेष या दुर्भावना` नहीं है। परेशान किए जाने के खेमका के आरोपों को खारिज करते हुए चौधरी ने कहा कि सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के निर्देश का पालते हुए कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि गुडगांव के जिला राजस्व अधिकारी द्वारा राज्य सरकार के संज्ञान में लाए गए प्राथमिक तथ्य इंगित करते हैं कि प्रथम दृष्टया वास्तविक स्थिति खेमका द्वारा अपनाए गए रुख से भिन्न है।
उन्होंने कहा कि बहरहाल, राज्य सरकार ने खेमका द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर जांच के आदेश दिए हैं। जांच समिति अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई में बनाई गई है। इसके दो सदस्य राज्य सरकार से होंगे। समिति को एक माह के भीतर काम पूरा करने को कहा गया है। मुख्य सचिव ने कहा कि जांच समिति संबद्ध अधिकारियों के कदमों के कानूनी पक्ष पर गौर करेगी। इनमें यदि कोई बात छोड़ी या जोड़ी गई तो उसको भी देखा जाएगा। चौधरी ने कहा कि श्री खेमका का तबादला माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए किया गया है। सरकार की ओर किसी प्रकार की जल्दबाजी या द्वेष का कोई सवाल ही नहीं उठता।
वाड्रा से जुड़े भूमि सौदों में जांच का आदेश देने के कारण तबादले के खेमका के आरोपों का जवाब देते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि स्थानांतरण का आदेश 11 अक्टूबर को जारी किया गया जबकि खेमका ने अपना आदेश 15 अक्टूबर को दिया था। चौधरी ने कहा कि लिहाजा इन सबका तबादले की वजह बनने का कोई सवाल ही नहीं उठता। इसके अलावा खेमका द्वारा दिए गए प्रतिवेदन में उन्होंने अपने उस आदेश का कहीं जिक्र नहीं किया है जो उन्होंने दिया था। पंजीकृत संपत्ति का मूल्य कम आंके जाने के आरोपों का खंडन करते हुए चौधरी ने कहा कि वड्रा की मैसर्स स्काई लाइट होस्पिटेलिटी प्राइवेट लि. और मैसर्स डीएलएफ यूनिवर्सल के बीच हुए संपत्ति सौदे के बारे में गुड़गांव के उपायुक्त के जरिये तहसीलदार सह पंजीयक, मानेसर से विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार बिक्री दस्तावेज और बाद में भूमि का स्थानांतरण कलेक्टर दर से कहीं अधिक था। लिहाजा इस बिक्री दस्तावेज से राज्य सरकार को कोई राजस्व हानि नहीं हुई।
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच गुड़गांव में जमीन को लेकर हुए करार को रद्द करने वाले हरियाण के वरिष्ठ अधिकारी अशोक खेमका को अज्ञात लोगों की ओर से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। यह दावा खेमका के करीबी मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने किया है।
वहीं, गौर हो कि राबर्ट वाड्रा से जुड़े भूमि सौदा विवाद में एक नया मोड़ आ गया, जिसके तहत हरियाणा के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने उनका तबादला किए जाने के बाद प्रमुख रियल्टी समूह डीएलएफ को तीन एकड़ जमीन की बिक्री को रद्द कर दिया। हरियाणा के चार जिलों में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद वाड्रा के सभी भूमि सौदों की जांच के आदेश के बाद खेमका को महानिरीक्षक पंजीकरण के पद से हटा दिया है।
खेमका ने सरकार पर पलटवार करते हुए कहा है कि ईमानदार होने और घोटालों को बेनकाब करने के कारण उन्हें दंड़ित किया जाना पूरी तरह से अनुचित है। खेमका 1991 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्होंने दावा किया कि 20 सालों में उनका यह 43वां तबादला है। उन्होंने मानेसर शिखोपुर में उस 3.5 एकड़ भूखंड की तब्दीली को रद्द करने का आदेश दिया था जिसे वड्रा ने डीएलएफ को बेचा था।
पिछले हफ्ते के अंत की तरफ जांच को आगे बढ़ाते हुए खेमका ने एक पत्र जारी किया। इसमें वेंडर या वेंडी के रूप में राबर्ट वाड्रा या उनकी कंपनियों द्वारा कुछ संपत्तियों का कथित रूप से कम मूल्यांकन किए जाने की औपचारिक रूप से जांच कराने के आदेश जारी किए गए थे। पत्र में वाड्रा के खिलाफ कार्यकर्ता अरविन्द केजरीवाल के आरोपों पर भी ध्यान दिया गया है।
इस मुद्दे के गर्माने और इस कदम पर हरियाणा सरकार की आलोचना होने के बीच मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि तबादला करना सरकार का विशेषाधिकार है। हुड्डा ने कहा कि यदि भूमि सौदों के बारे में किये गये दावे सही पाए गए तो दोषी पाये जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
हरियाणा के मुख्य सचिव पीके चौधरी को लिखे पत्र में खेमका ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारों के प्रयोग की आड़ में भूमि की चकबंदी के घोटाले के बेनकाब होने से प्रभावित राजनीतिक.नौकरशाही तंत्र के कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने उन्हें दंडित करने के लिए जानबूझ कर एवं दुर्भावनापूर्ण कदम उठाया है।
First Published: Tuesday, October 16, 2012, 22:43