Last Updated: Tuesday, May 1, 2012, 16:08
मुंबई: कृषि संबंधी संकट से ग्रस्त महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में पिछले 48 घंटों के भीतर कर्ज के बोझ से दबे कम से कम पांच किसानों ने आत्महत्या कर ली। इसके साथ ही राज्य में किसान आत्महत्या के मामलों की संख्या 332 हो गई है।
विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष किशोर तिवारी ने मंगलवार को बताया कि यवतमाल जिले में चिंचोली गांव के रामदास धाले ने मंगलवार सुबह आत्महत्या कर ली। वह कपास किसान था और उस पर लगभग तीन लाख रुपये का कर्ज था। उन्होंने कहा कि कर्ज नहीं चुका पाने के कारण पिछले 48 घंटों में अन्य चार किसान भी आत्महत्या कर चुके हैं। ये हैं यवतमाल जिले के शिवनी के अजबराव मेश्राम और आरिल के रामन्ना पेडकुलवार, वाशिम जिले के पोहारादेवी के परभातीबाई कादेल और अमरावती जिले के सातेगांव के श्रीराम काकद। तिवारी ने कहा कि इस वर्ष चार महीने में किसान आत्महत्या के मामले 332 तक पहुंच गए हैं।
उन्होंने खेद प्रकट करते हुए कहा कि कई कमेटियों और कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी सहित कई राजनेताओं के दौरे के बावजूद किसानों की मदद या उन्हें आत्महत्या करने से रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया जा रहा है। तिवारी ने कहा कि महाराष्ट्र के कृषि मंत्री बालासाहेब विखे पाटील के आधिकारिक बयान के अनुसार, इस वर्ष विदर्भ, मराठवाड़ा, खानदेश और उत्तरी महाराष्ट्र जैसे शुष्क भूमि वाले क्षेत्र में 44 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में कपास की खेती की गई है जो पहले से कहीं ज्यादा है लेकिन सूखा पड़ने के कारण पिछले वर्ष के 86 लाख गांठ की तुलना में मात्र 45 लाख गांठ उपज हुई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, खेती पर लागत दोगुनी हो गई है। बारिश पर आश्रित बीटी कपास फसल के लिए क्षेत्र में उचित सिंचाई सुविधा का भी अभाव है।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 1, 2012, 21:38