Last Updated: Monday, April 23, 2012, 09:33
पुडुचेरी: एक स्थानीय अदालत ने शंकररमन हत्याकांड मामले की सुनवाई आज 25 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। इस मामले में कांची के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ठ विजयेंद्र प्रमुख आरोपी हैं।
प्रमुख जिला एवं सत्र न्यायाधीश सी एस मुरूगन ने मामले की सुनवाई 25 अप्रैल तक स्थगित कर दी क्योंकि शंकररमन की विधवा पद्मा ने मद्रास उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की है। याचिका में उसने उच्च न्यायालय से पुडुचेरी की अदालत को उसकी उन याचिकाओं पर विचार करने का आदेश देने का अनुरोध किया है जिनमें उसने अपने परिवार को पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने एवं स्वयं से, अपने पुत्र से और पुत्री से मामले में फिर से जिरह किए जाने की मांग की है।
पद्मा ने 11 अप्रैल को संवाददाताओं से कहा था कि उसे लगता है कि मामले में फिर से जिरह जरूरी है क्योंकि उन्हें और उसके परिवार के सदस्यों को छह अगस्त 2009 को अदालत परिसर में कुछ लोगों ने धमकी दी थी और झूठा बयान देने के लिए कहा था। पद्मा के अनुसार, उस समय उसे गवाह के तौर पर गवाही देने के लिए ले जाया जा रहा था।
तब पद्मा के पुत्र आनंद कुमार शर्मा और पुत्री उमा मैत्रेयी ने भी गवाह के तौर पर अदालत में गवाही दी थी। कांचीपुरम स्थित वरदराजा पेरूमल मंदिर के प्रबंधक शंकररमन की तीन सितंबर 2004 को मंदिर परिसर में कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी। जयेंद्र और विजयेंद्र पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
इस मामले की सुनवाई पहले तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में हो रही थी। जयेंद्र सरस्वती की याचिका पर अक्तूबर 2005 को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सुनवाई पुडुचेरी की अदालत में स्थानांतरित कर दी गई। दोनों शंकराचार्य को मामले में निजी तौर पर अदालत में पेश होने से छूट दी गई है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, April 23, 2012, 15:04