Last Updated: Wednesday, May 29, 2013, 22:55

नई दिल्ली : मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने आज दिल्ली के लोकायुक्त को चुनौती दी कि वह पिछले विधानसभा चुनाव से पहले विज्ञापनों पर सार्वजनिक धन के दुरूपयोग के मामले में उन्हें दोषारोपित नहीं कर सकते और यह उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। वह भी ऐसे में जब वह इस मामले को लेकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट कर चुकी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मामला लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है क्योंकि यह विधानसभा चुनाव प्रचार से संबंधित है और इससे जुड़े मामलों के लिए चुनाव आयोग उचित मंच है। शीला ने कहा, ‘लोकायुक्त ने इस मामले में जो भी किया है वह नियम और कानून के साथ ही परंपराओं से भी परे है। यह वर्ष 2008 का मामला है। वह इसे अब क्यों उठा रहे हैं।’
मुख्यमंत्री ने भारतीय महिला प्रेस कोर (आईडब्ल्यूपीसी) के साथ बातचीत में कहा, ‘यदि कोई पार्टी या नेता (चुनाव के दौरान) किसी नियम का उल्लंघन करता है तो वह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है । लोकायुक्त के अधिकारी क्षेत्र में नहीं। इसकी जांच चुनाव आयोग करे।’ पिछले विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए सार्वजनिक धन का विज्ञापन के लिए कथित दुरूपयोग करने के मामले में लोकायुक्त न्यायमूर्ति मनमोहन ने शीला दीक्षित को दोषारोपित किया था और उनसे या कांग्रेस से 11 करोड़ रुपए की वसूली करने की सिफारिश की थी।
लोकायुक्त ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से सिफारिश की थी कि वह दीक्षित को ‘चेतावनी’ दें। दीक्षित ने वर्ष 2007-08 में प्रिंट और अन्य मीडिया में ‘बदल रही है दिल्ली’ सीरिज के विज्ञापनों के लिए कथित तौर पर सार्वजनिक निधि का दुरूपयोग किया था। यह पूछे जाने पर कि क्या वह लोकायुक्त की सिफारिश के अनुरूप 11 करोड़ रूपए चुकाएंगी, दीक्षित ने जवाब न देना पसंद किया। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 29, 2013, 22:55