Last Updated: Thursday, October 18, 2012, 13:36

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायाल ने दक्षिणी दिल्ली में अम्बेडकर नगर से मूलचंद तक 5.8 किलोमीटर लम्बे बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) कॉरीडोर की व्यवस्था रद्द करने से सम्बंधित याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और मनमोहन सिंह की पीठ ने गैर-सरकारी संगठन 'न्याय भूमि' की याचिका खारिज कर दी, जिसमें कारों को भी बसों के लिए आरक्षित लेन में चलने देने की अनुमति मांगी गई थी। न्यायालय ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद 24 सितम्बर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
एनजीओ के अध्यक्ष बी. बी. शरण ने याचिका में आरोप लगाया था कि बीआरटी व्यवस्था से लोगों को असुविधा हो रही है। केंद्रीय सड़क शोध संस्थान (सीआरआरआई) की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि इससे लोगों वक्त बर्बाद होता है और यह सरकारी पैसे का पूरी तरह दुरुपयोग है।
दिल्ली सरकार ने हालांकि बीआरटी सिस्टम का बचाव किया और सीआरआरआई की रिपोर्ट को 'असंवैधानिक' तथा 'अतार्किक' करार देते हुए कहा कि इसमें बस यात्रियों के अधिकारों को नजरअंदाज किया गया है।
गैर-सरकारी संगठन ने अपनी याचिका में कहा था कि बस के लिए बनी लेन अधिकतर खाली रहती है, जबकि कार तथा अन्य वाहनों के लिए बने लेन में अक्सर जाम की स्थिति होती है। इसलिए बस लेन में कार तथा अन्य वाहनों को भी चलने की अनुमति दी जाए। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 18, 2012, 11:13