Last Updated: Sunday, December 11, 2011, 13:18
नई दिल्ली : दस साल पहले उन जवानों ने देश से किए वायदे को निभाते हुए आतंकवादियों से लोहा लेकर संसद की सुरक्षा की थी। लेकिन उन्होंने अपने परिवार के साथ जो निजी वायदे किए थे, उसे वे अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं।
उन्होंने अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों से वायदा किया था कि वे उन्हें उस स्थान पर ले जाएंगे जहां 13 दिसंबर 2001 को उन्होंने जैश-ए- मोहम्मद के पांच आतंकवादियों को मार गिराया था।
सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल डी संतोष कुमार ने संसद पर हमले के दौरान तीन आतंकवादियों को मार गिराया था और उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे मेरे बच्चों ने कई बार उस स्थान पर ले जाने को कहा जहां मैं और मेरे सहकर्मियों ने संसद पर हमला करने वाले आतंकवादियों से लोहा लिया था। मुझे नहीं मालूम कि मैं कब अपना वादा पूरा करूंगा।’ कुमार अब अपने बल के बम निष्क्रिय दस्ते में यहां काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘संसद पर हमले के बाद मैं अपने बल के साथ कश्मीर और फिर पूर्वोत्तर चला गया। मुझे समय नहीं मिला कि मैं अपने परिवार को वहां ले जाउं।’ कुमार हाल तक छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सल विरोधी अभियान में शामिल थे।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, December 11, 2011, 20:49