Last Updated: Saturday, October 15, 2011, 11:05
उमरिया (मध्य प्रदेश) : वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का कहना है कि वह प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के मुद्दे पर लोकसभा चुनाव के वक्त अपने ‘स्वास्थ्य’ और ‘क्षमता’ के आधार पर फैसला करेंगे। भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जन चेतना यात्रा’ पर निकले पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी ने यह स्वीकार किया कि उनके 38 दिनों के इस अभियान का एकमात्र उद्देश्य ‘सत्ता परिवर्तन’ है।
एक राजनेता के सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में उतरने के सवाल पर आडवाणी ने कहा, ‘इस यात्रा का एक उद्देश्य सत्ता परिवर्तन भी है। यह एक राजनीतिक अभियान है। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भी अगर भ्रष्टाचार मौजूद रहा, तो मेरी विश्वसनीयता ही क्या रह जाएगी? मेरी पार्टी की साख इसलिए बरकरार है, क्योंकि कई राज्यों में हमने अच्छी सरकारें बनाईं हैं और कर्नाटक जैसी स्थितियां पैदा होने पर हम कदम उठाते हैं।’
इस सवाल पर कि क्या उनकी यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ पैदा हुए आक्रोश का राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास है, आडवाणी ने कहा कि इसे उनके उद्देश्य के साथ जोड़ना उचित न्याय नहीं होगा। अपने रथ पर मध्य प्रदेश के सतना से उमरिया जाने के दौरान आडवाणी ने कहा, ‘यह सिर्फ एक पार्टी और एक नेता का मुद्दा नहीं है, बल्कि सवाल यह है कि क्या हम सरकार को इस तरह भ्रष्टाचार में लिप्त रहने देंगे।’
84 वर्षीय आडवाणी से जब यह पूछा गया कि प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के मुद्दे पर पार्टी में सर्वसम्मति बनने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी, उन्होंने कहा, ‘यह मेरे खुद के मूल्यांकन पर निर्भर करता है कि मैं कितना योगदान दे सकता हूं और मेरा स्वास्थ्य भी आधार होगा।’ उन्होंने उमा भारती के उस बयान को खारिज कर दिया कि वाराणसी से भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने वाला शीर्ष पद पर आसीन होगा। आडवाणी ने कहा कि उन्होंने अपनी यात्रा बिहार के सिताबदियारा से शुरू की, वाराणसी से नहीं।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर तीखे प्रहार करते हुए आडवाणी ने दावा किया कि भ्रष्टाचार से निपटने के मामले में वह असफल रहे हैं। प्रधानमंत्री का सिर्फ ईमानदार बने रहना काफी नहीं है, उन्हें भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य लोगों को रोकना भी पड़ेगा। वह इसको दर्ज करने में असफल रहे कि प्रधानमंत्री कार्यालय की जवाबदेही बड़ी होती है।
अन्ना हजारे के आंदोलन पर उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक पार्टियों का स्थान कोई गैर सरकारी संस्थान नहीं ले सकता। भ्रष्टाचार पर अन्ना हजारे के रुख और जयप्रकाश नारायण के रुख में यही अंतर है कि जयप्रकाश नारायण ने कभी कल्पना भी नहीं की कि वह राजनीतिक दलों से कोई जुड़ाव नहीं रखने की बात करेंगे। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करने का काम किया।’
क्या वह अपने परिवार के किसी सदस्य के लिए कोई राजनीतिक भूमिका चाहते हैं, आडवाणी ने कहा कि वह जिन कारणों से कांग्रेस के खिलाफ राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं, उनमें परिवारवाद भी शामिल है और वह अपनी लड़ाई को कमजोर करने वाला कोई कदम नहीं उठाएंगे। उन्होंने कहा, ‘भाजपा और वामपंथी पार्टियों के अलावा लगभग सभी पार्टियां एक परिवार या कोई एक व्यक्ति चला रहा है।’
(एजेंसी)
First Published: Saturday, October 15, 2011, 23:57