Last Updated: Thursday, March 14, 2013, 12:38

वृंदावन/आगरा: `यमुना बचाओ` मुहिम से जुड़े आंदोलनकारी इस आधिकारिक घोषणा से खुश हैं कि यमुना नदी में 250 क्यूसेक अतिरिक्त पानी हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जाएगा। आगरा में पर्यावरणविद हालांकि इस तरह की रिपोर्ट को लेकर थोड़े चिंतित हैं कि दिल्ली के नालों से बहने वाला पानी तथा कूड़ा एक नए समानांतर नाले से आगरा नहर में डाला जाएगा, जिसका निर्माण दिल्ली सरकार अगले दो साल में करने जा रही है। यह उस समझौते का हिस्सा है, जिस पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत तथा `पदयात्रा` के नेताओं के बीच सहमति बनी है।
प्रदूषण पर सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी समिति के सदस्य डी. के. जोशी ने गुरुवार कहा कि यदि दिल्ली से गुजरने वाले नाले का पानी व कूड़ा आगरा नहर में डाला जाएगा तो यह आत्मघाती होगा, क्योंकि आगरा नहर के पानी की आपूर्ति कीथम झील, आगरा के सर्किट हाउस के दो तालाब तथा ताजमहल के बगीचों में भी की जाती है।
पर्यावरणविद रवि सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दिल्ली के नालों से बहने वाले गंदे पानी का निपटारा स्थानीय स्तर पर ही हो जाए, न कि इससे आगरा के लिए समस्या पैदा हो। ब्रिटिश काल में बनी आगरा नहर बेहद संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र में आता है और यहां का पानी पहले ही दूषित है। यदि इस पर और अधिक दबाव बनाया जाता है तो इसके विध्वंसकारी परिणाम होंगे।
गौरतलब है कि `यमुना बचाओ` आंदोलनकारियों तथा केंद्र सरकार के बीच समझौता बुधवार मध्यरात्रि को हुआ। समझौते पर आंदोलनकारियों के नेताओं तथा केंद्रीय मंत्रियों हरीश रावत और जयंती नटराजन ने हस्ताक्षर किए थे।
First Published: Thursday, March 14, 2013, 12:38