Last Updated: Wednesday, August 29, 2012, 16:40
लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ में परिवार कल्याण विभाग के दो मुख्य चिकित्साधिकारियों की हत्या के मामले में सीबीआई की जांच पर असंतोष जाहिर करते हुए बुधवार को कहा कि पिछले दो-तीन महीने के दौरान इन मामलों पर कोई ठोस काम नहीं हुआ।
न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह ने लखनउ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से हुई वित्तीय अनियमितताओं तथा दो सीएमओ वीके आर्य और बीपी सिंह हत्याकांड मामलों से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह तल्ख टिप्पणी की।
आर्य और सिंह की हत्या के मामले की जांच की सीलबंद स्थिति रिपोर्ट को सीबीआई के विवेचना अधिकारियों द्वारा पेश किए जाने के बाद अदालत ने कहा कि इन मामलों पर सीबीआई ने पिछले दो-तीन महीनों के दौरान कोई ठोस काम नहीं किया।
अदालत ने सीबीआई के पुलिस अधीक्षक तथा दो अन्य विवेचना अधिकारियों को 12 सितम्बर को मामले की अगली सुनवाई के दिन अदालत में हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता राज बहादुर सिंह यादव ने अदालत में कई डाक्टरों समेत 34 स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति सम्बन्धी आदेश प्रस्तुत किया।
इसके पूर्व, गत गुरुवार को राज्य सरकार ने अदालत को वचन दिया था कि सूबे में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान (एनआरएचएम) घोटाले में कथित रूप से संलिप्त लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में तैनात 34 लोकसेवकों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति सम्बन्धी निर्णय 29 अगस्त तक ले लिया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 29, 2012, 16:40