हार के बाद कांग्रेस-एनसीपी रिश्ते में दरार ! - Zee News हिंदी

हार के बाद कांग्रेस-एनसीपी रिश्ते में दरार !



ज़ी न्यूज ब्यूरो

 

मुंबई: बीएमसी चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और एनसीपी में दरार दिखने लगी है। कांग्रेस में आपसी कलह शुरू हो चुकी है। इसका पता दोनों पार्टियों के नेताओं के बयानबाजी से दिखने लगा है।

 

महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष माणिक राव ने कहा कि भाई-भतीजावाद के चक्कर में हार का मुंह देखना पड़ा है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर इस चक्कर में वैसे लोगों को टिकट दिए गए जो किसी भी सूरते हाल में चुनाव नहीं जीत सकते थे । जबकि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने हार की वजह बिना वजह की गई बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि चुनावी गठबंधन के बाद कांग्रेस की बयानबाजी हार की वजह बन गई।

 

महाराष्‍ट्र के उद्योग मंत्री नारायण राणे ने कहा है कि मैं नहीं मानता हूं कि यह हार शिवसेना या एमएनएस की वजह से हुई है, बल्कि इसके जिम्‍मेदार कांग्रेस के नेता हैं। राणे ने हालांकि कांग्रेस के किसी दिग्गज का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारों में जरुर जता दिया कि कांग्रेस के किन नेताओं ने बीएमसी चुनाव में कांग्रेस का बेड़ा गर्क किया है। राणे ने कहा कि जो पार्टी के प्रमुख हैं और जिन्‍होंने बीएमसी चुनाव को जिस तरह से संभाला वही इस हार के जिम्‍मेदार हैं।

 

कांग्रेस सांसद संजय निरुपम ने कहा है कि एनसीपी की जिद की वजह से हम हार गए।  निरुपम के मुताबिक एनसीपी ने जो गठबंधन का आग्रह किया उसकी वजह से हमें 25-30 सीटें छोड़नी पड़ी और एनसीपी वह सीटें हार गई जो हमारी कमजोरी की वजह बनी।

 

एनसीपी कांग्रेस के साथ गठबंधन के मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कह रही है लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आनेवाले दिनों में गठबंधन की तस्वीर बदल सकती है। 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव है।  उससे पहले इस चुनाव को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था. तो सेमीफाइनल का नतीजा सबके सामने हैं।

 

पिछले 17 साल में कांग्रेस ने कभी भी बीएमसी चुनाव में बाजी नहीं मारी।  तब भी नहीं जब शरद पवार कांग्रेस में थे।  तब भी नहीं जब शरद पवार कांग्रेस से अलग होकर लड़े थे। जब शरद पवार के साथ मिलकर कांग्रेस बीएमसी चुनाव जीतने निकली थी तब भी हार का मुंह देखना पड़ा था।  कांग्रेस पवार का सहारा लेकर मुंबई पर राज करना चाहती थी इसलिए पवार की हर शर्त मानी लेकिन फायदे की बजाय नुकसान उठाना पड़ा।

First Published: Sunday, February 19, 2012, 08:13

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