Last Updated: Wednesday, October 2, 2013, 17:43
मुंबई : फिल्म अभिनेत्री आशा पारेख बुधवार को 71 साल की हो गईं। खूबसूरत `मिस नीता` के ग्लैमरस किरदार से मशहूर पारेख ने कई गंभीर फिल्मों में गंभीर चरित्र भी निभाए हैं। उनकी 10 लोकप्रिय और सफल फिल्मों में शामिल हैं:
`भरोसा` (1963) : ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित सरल कहानी में आशा पारेख ने अभिनेता गुरुदत्त के साथ काम किया है। फिल्म में दोनों कलाकारों के उम्दा अभिनय के अलावा `वो दिल कहां से लाऊं` जैसे लोकप्रिय गीत भी शामिल थे।
`दो बदन` (1966) : राज खोसला की फिल्म में पारेख ने एक ऐसी युवती के चरित्र को गंभीरता और जीवंतता के साथ निभाया, जिसका प्रेमी हादसे में अंधा हो जाता है और वर्ग विभाजित समाज दोनों प्रेमियों को एक-दूसरे से अलग कर देता है।
`तीसरी मंजिल` (1966) : रहस्य रोमांच से भरपूर फिल्म में पारेख ने शम्मी कपूर के साथ काम किया था, जिसमें वह अपनी मृत बहन के कातिल की तलाश करती हैं। फिल्म में पारेख के जिंदादिल किरदार और अभिनय ने उन्हें एकदम से लोगों की नजरों के केंद्र में ला खड़ा किया।
`बहारों के सपने` (1967) : फिल्म में सुपरस्टार राजेश खन्ना की प्रेमिका की भूमिका में सीधी सादी गंभीर स्वभाव की युवती के किरदार ने दर्शकों को खासा चौंका दिया था, क्योंकि तब तक उनकी छवि चुलबुली और ग्लैमरस नायिका की बन चुकी थी।
`चिराग` (1969) : इस फिल्म में पारेख ने एक दृष्टिहीन महिला का किरदार निभाया था, जिसका अपने पति (सुनील दत्त) से अलगाव हो चुका है। फिल्म का गीत `तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है` बेहद मशहूर और लोकप्रिय हुआ था।
`कटी पतंग` (1970) : फिल्म में एक विधवा स्त्री का किरदार निभाने से शर्मिला टैगोर के मना कर देने पर निर्देशक शक्ति सामंता ने इस भूमिका में आशा पारेख को लिया था। आशा ने भाग्य की मारी स्त्री के भावुकता भरे किरदार से लोगों का दिल तो जीता ही था, कई अवार्ड भी अपने नाम किए थे।
`नादान` (1971) : फिल्म में पारेख ने एक टॉम ब्वॉय युवती का किरदार निभाया था, जिसे फिल्म के नायक (नवीन निश्चल) के संपर्क में आने के बाद अपने महिला होने का एहसास होता है।
`कारवां` (1971) : यह फिल्म पारेख के करियर की सफलतम फिल्म थी, जिसमें उन्होंने आखिरी बार नासिर हुसैन के साथ काम किया था।
`मैं तुलसी तेरे आंगन की` (1979) : राज खोसला की इस फिल्म की मुख्य नायिका नूतन थीं और पारेख की भूमिका फिल्म में सिर्फ 20 मिनट लंबी थी, जिसके बावजूद उन्होंने फिल्म में अपने अभिनय से गहरा प्रभाव छोड़ा था।
`बिन फेरे हम तेरे` (1979) : इस फिल्म में पारेख को एक ठेठ भारतीय स्त्री का किरदार निभाने का मौका मिला जो जीवन के कई अच्छे-बुरे दौर से गुजरी। एक तवायफ, एक विधवा और फिर अपनी संतान के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देने वाली मां तक का बहुआयामी किरदार पारेख ने इस एक फिल्म में जीवंत कर दिखाया।
आशा पारेख के अभिनय और प्रतिभा की बात करते हुए इससे ज्यादा क्या बोला जा सकता है कि `आज की मुलाकात बस इतनी` (भरोसा)। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 2, 2013, 17:43