Last Updated: Monday, May 14, 2012, 08:54
कोलकाता: आज अपनी 90 वीं वषर्गांठ मना रहे प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मृणाल सेन अभी भी काम में लगे हुए हैं और इस उम्र में भी उनमें एक नयी फिल्म बनाने का जज्बा कायम है ।
सत्यजीत रे और रित्विक घटक के साथ ही दुनिया की नजरों में भारतीय सिनेमा की छवि बदलने वाले सेन ने कहा कि हर रोज मैं एक नयी फिल्म बनाने के बारे में सोचता हूं । देखते हैं कब मैं उस पर काम करता हूं।
अभिनेत्री नंदिता दास अभिनीत उनकी अंतिम फिल्म आमार भुवन, मेरी जमीन वर्ष 2002 में प्रदर्शित हुयी थी। साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि मैंने उसके बाद कोई फिल्म नही बनायी लेकिन मैंने यह कभी नहीं सोचा कि मैं सेवानिवृत हो गया हूं।
उनकी फिल्मों में प्रत्यक्ष राजनीतिक टिप्पणियों के अलावा सामाजिक विश्लेषण और मनोवैज्ञानिक घटनाक्रमों की प्रधानता रही है । वाम झुकाव वाले निर्देशक भारत में वैकल्पिक सिनेमा आंदोलन के अग्रणी के रूप में जाने जाते हैं और अक्सर उनकी तुलना उनके समकालीन सत्यजीत रे के साथ की जाती है।
खंडहर (1984) और ‘भुवन सोम (1969) जैसी फिल्मों में बेहतरीन निर्देशन के लिए चार बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों जीतने के अलावा उन्हें फिल्म निर्माण में भारत के सबसे बड़े पुरस्कार दादा साहेब फाल्के से वर्ष 2005 में सम्मनित किया गया था। हाल ही में एक बड़े निजी बैंक ने उन्हें फिल्म बनाने के लिए धन देने का प्रस्ताव दिया था। सेन ने कहा कि मेरे लिए धन की समस्या नहीं है। बैंक ने कहा है कि हम लोग पांच करोड़ से अधिक की धनराशि देने के लिए तैयार हैं। मैंने उनसे कहा कि मैं पांच करोड़ में छह फिल्म बना सकता हूं।
जब उनसे उनके जन्मदिन की पार्टी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह जन्मदिन की पार्टी नहीं मनाएंगे। सेन ने कहा कि जन्म या मौत, पर जश्न मनाना मेरा काम नहीं है। मेरे दोस्त, संबंधी या अन्य लोग जो मेरे लिए सोचते हैं, वे अगर चाहते हैं तो जश्न मना सकते हैं।
उन्होंने कहा कि एक बात जो मुझे इस बुढ़ापे में परेशान करती है वह है मेरी फिल्मों के प्रिंटों का जर्जर होना। जिसमें कई आज भी दर्शनीय मानी जाती है । सेन ने कहा कि उनमें से अधिकांश की स्थिति बहुत खराब है। ऐसा खराब जलवायु और उचित रखरखाव के अभाव के कारण हो रहा है।
(एजेंसी)
First Published: Monday, May 14, 2012, 14:25