Last Updated: Sunday, January 13, 2013, 15:26

नई दिल्ली : मशहूर शायर निदा फाजली ने मीडिया पर उनके बयान को तोड़ मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कभी अमिताभ बच्चन की तुलना आतंकवादी अजमल कसाब से नहीं की । यह विवाद हिन्दी की एक साहित्यिक पत्रिका को फाजली के भेजे पत्र के बाद शुरू हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि लेखक सलीम जावेद ने गढी थी जिस तरह कसाब को आतंकवादी हाफिज मोहम्मद सईद ने बनाया था ।
फाजली ने भाषा से कहा, ‘‘मैने कभी अमिताभ को आतंकवादी नहीं कहा । मीडिया ने मेरे बयान को सनसनी फैलाने के लिये तोड़ मरोड़कर पेश किया और नया विवाद पैदा कर दिया । मैने एंग्री यंग मैन की छवि के बारे में बयान दिया था, अमिताभ के बारे में नहीं ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अमिताभ बेहतरीन कलाकार हैं और बहुमुखी प्रतिभा के धनी है । हर कलाकार की तरह हालांकि उनकी भी सीमायें हैं ।’’ फाजली ने पत्र में लिखा था, ‘‘अमिताभ को एंग्री यंग मैन की उपाधि से क्यों नवाजा गया । वह तो केवल अजमल कसाब की तरह गढा हुआ खिलौना है । एक को हाफिज मोहम्मद सईद ने बनाया और दूसरे को सलीम जावेद ने गढा । खिलौने को फांसी दे दी गई लेकिन खिलौना बनाने वाले को पाकिस्तान में उसकी मौत की नमाज पढने खुला छोड़ दिया ।’’ उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा, ‘‘मेरा आशय यहां एंग्री यंग मैन की छवि से था । दूसरे मेरा मानना है कि एंग्री यंग मैन की छवि को सत्तर के दशक में सीमित क्यों कर दिया गया और फिर अमिताभ को ही एंग्री यंग मैन क्यों कहा गया । क्या 74 वर्षीय अन्ना हजारे को हम भूल गए । तब से ज्यादा गुस्सा तो आज है ।’’
विदेशों में मुशायरों के दौरान पाकिस्तान और अरब के कई फनकारों से लगातार मिलने वाले इस अजीमोशान शायर ने कहा कि एशिया की तरक्की में रोड़ा डालने के लिये दहशतगर्दी को जरिया बना लिया गया है । उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग चाहते हैं कि एशिया तरक्की नहीं करे । पाकिस्तान में उन्होंने घर बना लिया है और अब उनकी नजरें हिन्दुस्तान पर है ।’’ दोनों तरफ के फनकारों की राय के बारे में पूछने पर फाजली ने कहा, ‘‘फनकारों की कोई आवाज नहीं होती । आम आदमी की बस दुहाई दी जाती है । उसे भेड़ बकरी की तरह हांक दिया जाता है ।’’ इन दिनों फिल्मों के लिये लिखना कम कर चुके इस शायर ने कहा कि वह मुशायरों में अधिक मसरूफ रहते हैं । उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि मैने फिल्मों से नाता तोड़ दिया है । कुछ फिल्मों के लिये लिखा है लेकिन मेरी मसरूफियत मुशायरों में बढ गई है । दुनिया भर में जहां भी हिन्दुस्तान, पाकिस्तान के लोग हैं, अच्छी शायरी के कद्रदान मिल ही जाते हैं ।’’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 13, 2013, 15:26