Last Updated: Saturday, July 20, 2013, 13:11

मुंबई : मशहूर शास्त्रीय संगीतकार पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित शिवकुमार शर्मा फिल्म उद्योग की मौजूदा स्थिति को लेकर खुश नहीं हैं और उन्हें लगता है कि आज के गानों का जीवन बेहद कम हो गया है।
प्रसिद्ध बांसुरी वादक चौरसिया और संतूर वादन के महारथी शर्मा की शिव-हरि की यह जोड़ी सिलसिला (1981), फासले (1985), चांदनी (1989), लम्हे (1991) और डर सहित कई अन्य हिट फिल्मों में संगीत दे चुकी है।
शर्मा ने कहा, आज के गीत-संगीत का जीवन बेहद कम हो गया है। पुराने गीतों को लोग आज भी याद और पसंद करते हैं। मुझे नहीं लगता कि हाल के किसी गाने ने मेरा ध्यान खींचा हो। वहीं चौरसिया का कहना है कि ये बदलाव अनिवार्य है और आज भी हमारे पास कई प्रतिभाशाली कलाकार हैं।
उन्होंने कहा, बदलाव हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। लेकिन मुझे पुराने गाने पसंद हैं, मैं उन गानों को गाता भी हूं। मैं आज के गाने गुनगुनाता नहीं हूं। यहां भी कई प्रतिभाशाली कलाकार हैं और उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी। (एजेंसी)
First Published: Saturday, July 20, 2013, 13:11