Last Updated: Saturday, April 20, 2013, 13:37
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: विज्ञान भूत-प्रेत डायन और चुड़ैल को कोरा अंधविश्वास मानता है। लेकिन तंत्र विद्या कहती है कि इनका वजूद होता है। हालांकि इस बहस-मुबाहिसे का कोई अंत नहीं है। खैर हम यहां बात कर रहे हैं शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म एक थी डायन की। यह फिल्म काला जादू पर आधारित कहीं जा सकती है जो विश्वास के साथ इसे पेश करने की कोशिश करती नजर आती है।
‘एक थी डायन’ शायद पहली हिंदी फिल्म है जो जादू-टोने को इतनी विश्वसनीयता से पेश करती है। साथ ही ये पर्दे पर अब तक के सबसे डरावने अनुभवों में से एक कही जा सकती है।
‘एक थी डायन’ में भी डायनों से जुड़े मिथक और रिवाज दिखाए गए हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं लेकिन ये फिल्म उन्हें बढ़ावा नहीं देती। ‘एक थी डायन’ आज के दौर की कहानी है जिसमें डायन की लोककथा को बड़ी ही समझदारी से पिरोया गया है।
निर्देशक कनन्न अय्यर ने सुपनेचुरल फिल्म को अपने अंदाज में पिरोया है जिसमें काला जादू और डायन के कंटेट को नए तरीके से डरावने अंदाज में पेश किया गया है।
फिल्म की कहानी एक जादूगर बोबो (इमरान हाशमी) के इर्द गिर्द घूमती है। उसकी एक गर्लफ्रैंड है तामारा (हुमा कुरैशी)। दोनों एक बच्चे को गोद लेना चाहते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें शादी करनी होगी। सम्मोहन के जरिए बोबो के बचपन की कहानी सामने आती है जिसमें एक डायन ने न सिर्फ उसके परिवार को बर्बाद कर दिया बल्कि उसने वापस आकर बोबो को डराने का वादा भी किया था।
बोबो इस कहानी को नजरअंदाज करने की कोशिश करता है। अचनाक उसकी जिंदगी में लीसा दत्त (कल्कि कोइचलिन) की एंट्री होती है। बोबो को लगने लगता है कि वो डायन है। फिर जब डायन का सस्पेंस खुलता है तब दर्शकों का रोमांच दोगुना हो जाता है। इसलिए हम भी चाहते हैं कि फिल्म का सस्पेंस बना रहे और डायन कौन है यह आप फिल्म जाकर देखे तो पता चलेगा। लेकिन यह गारंटी जरूर है कि जब आप डायन के बारे में जानेंगे तो चौंकेगे जरूर। विशाल भारद्वाज का संगीत बढ़िया है और फिल्म के मुताबिक चलता है।
फिल्म में अभिनय की बात करें तो कोंकणा का सबसे शानदार अभिनय है। उन्होंने यह साबित कर दिखाया है कि वह हर किरदार को करने में माहिर है। इमरान हाशमी ने लाजवाब काम किया है और अपने कंधों पर पूरी फिल्म का भार बखूबी उठाया है। वह जादूगर की भूमिका में जमे है लेकिन कुछ जगहों पर वह ओवरएक्टिंग का शिकार नजर आते हैं। कल्कि का अभिनय भी अच्छा है। पहली दो फिल्मों में छोटे शहर की लड़की का किरदार निभाने के बाद हुमा ने अपने इस नए अवतार में आत्तविश्वास दिखाया है।
कुल मिलाकर ‘एक थी डायन’ एक कल्पनाशील और शानदार सुपरनैचुरल थ्रिलर है। यह फिल्म टेक्निकली बहुत ही बेहतर है लेकिन कंटेट के पैमाने पर खरी नहीं कहीं जा सकती है। लेकिन फिल्म डराती जरूर है जिसका मजा दर्शकों को खूब आता है। फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स, आर्ट डायरेक्शन और साउंड इफेक्टस की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है। आप यह फिल्म देखने के बाद मुमकिन है कि यह नहीं कहेंगे कि यार यह फिल्म क्यूं देखी।
First Published: Friday, April 19, 2013, 15:06