एक युग जिसका नाम राजेश खन्ना था

एक युग जिसका नाम राजेश खन्ना था

एक युग जिसका नाम राजेश खन्ना थानई दिल्ली: हिंदी फिल्म जगत के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना अब पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं लेकिन ‘काका’ से जुड़ी यादों को लोग भूल नहीं पा रहे हैं । कुछ यही आलम प्रख्यात फिल्मकार मधुर भंडारकर का है जिनका मानना है कि राजेश खन्ना एक युग का नाम था जो उनके जाने से खत्म हो गया ।

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मधुर भंडारकर ने ज अपने ब्लॉग में लिखा, ‘एक युग जिसने रोमांस से जुड़े मेरे सपनों को विकसित किया, एक दौर जिसने मुझे मेरी पहली हेयर स्टाइल दी, वह युग जो मुझे अब भी जीवंत बना देता है और मेरे चेहरे पर मुस्कान ला देता है, वह राजेश खन्ना का युग है ।’

उन्होंने कहा, ‘जब कल शाम मैं राजेश खन्ना के पार्थिव शरीर के सामने खड़ा था तो यह अविश्सनीय था । यह नहीं हो सकता काका जी । जो व्यक्ति मेरे सामने लेटा है उसकी पलकें नहीं झपक रही हैं। मुस्कराहट नहीं है और उनके अमर गुरू कुर्ते में उनका हाथ मुड़ नहीं रहा था जो काका की फिल्मों में उनकी छवि होती है ।’’

भंडारकर ने कहा, ‘‘उनके फिल्मी संवाद मेरे कानों में गूंज रहे थे । मैं अतीत में खो गया जब बचपन में उनकी फिल्म ‘अंदाज’ देखने जाता था । ‘जिंदगी का सफर है सुहाना’ गाना खत्म होता है और पर्दे पर राजेश खन्ना की मौत होती है तो मैंने रोना शुरू कर दिया । मैं उनको मरते हुये नहीं देख सकता । मेरा रोना देख मम्मी तुरंत मुझे थियेटर से बाहर लेकर चली आई ।


आज भी जब ‘आनंद’ देखता हूं तो मैं उन्हें मरते हुये नहीं देख सकता ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि जिसको मैं पर्दे पर मरते नहीं देख सकता उसके शव के सामने खड़ा रहूंगा । मैं बचपन से उन्हें देखते हुये बड़ा हुआ हूं। मैं उनके गुरू कुर्ते का आज भी दीवाना हूं ।’ भंडारकर ने कहा कि लोग काका की एक झलक देखने के लिये मर मिटते थे । लड़कियां राजेश खन्ना की कार के टायर की धूल से अपनी मांग भर लेती थी । इस दीवानेपन को अगर आपने अनुभव नहीं किया तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते । (एजेंसी)

First Published: Friday, July 20, 2012, 12:20

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