Last Updated: Monday, May 6, 2013, 18:08
मेलबर्न : फिल्म निर्देशक कबीर खान को लगता है कि वह समय आ गया है जब भारतीय फिल्म जगत को ऑस्कर को लेकर अपना पागलपन छोड़ देना चाहिए। मेलबर्न में चल रहे मेलबर्न भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफएम) से इतर खान ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम बेवजह ऑस्कर के पीछे पागल हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ऑस्कर अमेरिकी फिल्म जगत का पुरस्कार समारोह है जहां हमारे मतलब कि बस एक श्रेणी है जिसे हम सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी के नाम से जानते हैं।’’ खान ने कहा कि किसी फिल्म के स्तर को मापने का ऑस्कर ही सर्वश्रेष्ठ मानदंड नहीं है।
‘एक था टाइगर’, ‘न्यूयार्क’ और ‘काबुल एक्सप्रेस’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके कबीर ने कहा, ‘‘हमारी ही तरह अमेरिकियों के फिल्म देखने का नजरिया भी अलग है और जरूरी नहीं कि हमारे नजरिए एक दूसरे से मिले। मुझे सच में ऑस्कर को लेकर यह पागलपन समझ में नहीं आता। चाहे कान हो या वेनिस, ऐसे कई दूसरे अंततराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव हैं जिनका नजरिया और दृष्टिकोण कहीं ज्यादा अंतरराष्ट्रीय है और जिन्हें हमें लक्षित करना चाहिए।’’ खान ने कहा, ‘‘यह ऐसी जगहें हैं जिन्हें पूरी दुनिया की फिल्मों का समारोह माना जाता है और जहां ऑस्कर पुरस्कारों की तरह केवल एक श्रेणी नहीं है। ऑस्कर की दौड़ पूरी तरह बहुप्रचारित है।’’
उन्होंने कहा कि अभी तक केवल चार भारतीयों को ऑस्कर मिला है और वह सभी ब्रिटिश फिल्मकारों की फिल्मों के लिए उन्हें मिलीं। खान ने कहा कि हालांकि एआर रहमान को फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनियर’ में उनके संगीत के लिए ऑस्कर मिला लेकिन यह उनका सर्वश्रेष्ठ संगीत नहीं था। खान इस समय प्रसिद्ध लेखक हुसैन जैदी की एक किताब पर आधारित फिल्म पर काम कर रहे हैं जिसमें अभिनेता सैफ अली खान नजर आएंगे। (एजेंसी)
First Published: Monday, May 6, 2013, 18:08