कायम रहेगा ‘यश चोपड़ा रोमांस’ का यश| Yesh Chopra

कायम रहेगा ‘यश चोपड़ा रोमांस’ का यश

कायम रहेगा ‘यश चोपड़ा रोमांस’ का यशमुंबई : दुनिया को अलविदा कह गए प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा ने अपने पांच दशक के बॉलीवुड करियर में कई फिल्मों के जरिए रोमांस की नयी परिभाषा गढ़ी। चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा की सबसे सफलतम फिल्मों का निर्देशन किया।

‘एंग्री यंग मैन’ अमिताभ बच्चन की ‘दीवार’ से लेकर ‘बादशाह’, शाहरुख खान की ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्में देने वाले यश चोपड़ा ने कैमरे के पीछे जाकर दशकों तक दर्शकों की नब्ज को थामे रखा। चोपड़ा और बच्चन की जोड़ी ने बॉलीवुड की ‘कभी कभी’ और ‘त्रिशूल’ जैसी फिल्में भी दीं। यदि शाहरुख खान फिल्मों के बादशाह हैं तो यश चोपड़ा ‘किंगमेकर’ हैं। उन्होंने ही अपने कैमरे की कलाकारी से कई अभिनेताओं को बॉलीवुड का सुपरस्टार बना दिया।

हालांकि उन्होंने अपना करियर अलग तरह की फिल्में बनाकर शुरू किया पर उन्हें हमेशा ‘चांदनी’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘सिलसिला’ जैसी फिल्मों के लिए याद रखा जाएगा। उनकी शैली की रोमांटिक फिल्मों के लिए ‘यश चोपड़ा रोमांस’ लब्ज ईजाद हुआ। उन्होंने अपने पांच दशक के करियर में 50 से अधिक फिल्में बनाईं। यश चोपड़ा को उनके फिल्मी करियर में छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें उनकी फिल्मों के चार बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला।

लाहौर में 27 सितंबर 1932 को जन्मे चोपड़ा बंटवारे के बाद भारत आ गए। वह इंजीनियर बनना चाहते थे। हालांकि फिल्म निर्माण के लिये अपने जज़्बे के चलते वह मुंबई चले गए जहां उन्होंने आई.एस. जौहर और फिर अपने निर्माता निर्देशक भाई बी.आर. चोपडा़ के साथ सहायक निर्देशक बन गए। फिल्मों की कामयाबी के बाद चोपड़ा बंधुओं ने 50 और 60 के दशक में कई फिल्में बनायीं। यश चोपड़ा की पहली सफल फिल्म ‘वक़्त’ को माना जाता है जो 1965 में आयी थी। इस फिल्म से ही बॉलीवुड में मल्टी स्टारर फिल्मों का चलन शुरू हुआ। उन्होंने फिल्म ‘चांदनी’ से अपनी रोमांटिक फिल्मों की पारी शुरू की। इसके बाद 1991 में उन्होंने ‘लम्हे’ बनायी।

बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ चोपड़ा का सफर 1993 में शुरू हुआ जब उन्होंने ‘डर’ बनाई। इस फिल्म में शाहरुख ने एक पागल प्रेमी की दमदार और असरदार भूमिका निभायी थी। ‘डर’ (1993) के बाद से उन्होंने तीन फिल्मों का निर्देशन किया जिसमें उन्होंने सिर्फ शाहरुख को ही मुख्य अभिनेता के रूप में चुना। 1997 में ‘दिल तो पागल है’ 2004 में ‘वीर ज़ारा’ और इस साल 13 नवंबर को आने वाली फिल्म ‘जब तक है जान’ में चोपड़ा-खान की इस जोड़ी ने पर्दे पर रुमानियत को नया आयाम दिया।

पिछले महीने अपने 80वें जन्म दिन पर एक साक्षात्कार में चोपड़ा ने शाहरुख के बारे में कहा था, ‘मुझे उनके साथ काम कर हमेशा एक अलग अनुभव हुआ। उन्होंने कभी मुझसे यह नहीं पूछा कि कहानी किस बारे में है और उन्हें कितने पैसे मिलेंगे। मैंने जब भी उन्हें चैक भेजा, उन्होंने पूछा कि मैंने उन्हें इतनी भारी रकम क्यों भिजवायी।’ यश राज बैनर तले बनी दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (1995), ‘दिल तो पागल है’ (1997), ‘मोहब्बतें’ (2000), ‘रब ने बना दी जोड़ी’ (2008) में भी शाहरुख ने ही पर्दे पर रूमानी किरदारों को जीया।

यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा भी एक सफल निर्देशक हैं और यश की विरासत को आगे ले जा रहे हैं। कुछ फिल्मों में पर्दे पर दिख चुके उनके दूसरे बेटे उदय चोपड़ा फिल्म निर्माण कंपनी की अंतरराष्ट्रीय शाखा का काम देख रहे हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 21, 2012, 21:51

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