गोलमाल का मॉर्डन वर्जन है 'बोल बच्चन'

गोलमाल का मॉर्डन वर्जन है 'बोल बच्चन'

गोलमाल का मॉर्डन वर्जन है 'बोल बच्चन'ज़ी न्यूज ब्यूरो

गोलमाल है ये फिल्म। कन्फ्यूज़ करने वाली यहां कोई बात नहीं है, क्योंकि रोहित शेट्टी ने अब तक जितनी भी गोलमाल बनाई है, वो बस नाम में गोलमाल थी। अब ये फिल्म सही मायनों में ऋषिकेष मुखर्जी की फिल्म गोलमाल का मॉर्डन वर्ज़न है।

फिल्म की कहानी बिल्कुल घुमाऊ है। तकरीबन वैसी ही, जैसी की अब तक रोहित शेट्टी की फिल्में होती रही हैं। अब्बास अली अपनी बहन सानिया के साथ दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, अपने घर को बचाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगा रहा है लेकिन हालात के मारे दुखियारे अब्बास का घर भी चला जाता है और गांव भी। ऐसे में अब्बास के अब्बू के दोस्त शास्त्री जी उसे सलाह देते हैं रनकपुर जाने की।

जहां पृथ्वीराज रघुवंशी के यहां उसे काम करना है। अब्बास को हालात से मजबूर होकर यहां अपनी पहचान छिपानी पड़ती है। और वो मूंछे लगाकर बन जाता है अभिषेक बच्चन। मामूली सा छूट लेकिन झूठों से सबसे ज़्यादा नफ़रत करने वाले पृथ्वीराज रघुवंशी के सामने। अब ये झूठ क्या कमाल दिखाता है। एक झूठ छिपाने के लिए कितने झूठ बोलने पड़ते हैं। यही कहानी है - बोल बच्चन की। वैसे सावधान रहिएगा, क्योंकि इस फिल्म में आप कहानी और लॉजिक की तलाश करने लगेंगे, तो फिर कुछ और करने लायक बचेंगे नहीं।

डॉयलॉग्स बेहतरीन हैं। कॉमेडी और भी अच्छी लेकिन स्क्रिप्ट के लेवल पर ये फिल्म शुरुआत में भी ढीली है और क्लाइमेक्स पर भी। हां, एंटरटेनिंग ज़रूर है। फरहाद, युनुस और साज़िद की स्टोरी के लिए ढाई स्टार।

रोहित शेट्टी को पता है कि वो कैसी फिल्म बना रहे हैं, उनके किरदार क्या करेंगे,उन्हे कितनी कॉमेडी डालनी है और कितनी गाड़ियों को उड़ाना है। हांलाकि बहकती स्क्रिप्ट ने रोहित के हाथ कुछ रोके ज़रूर हैं लेकिन बांधे नहीं हैं। रोहित ने ये छिपाने की कोशिश भी नहीं की है कि उनकी फिल्म गोलमाल से इंस्पायर्ड है। डायरेक्शन के लिए 3 स्टार।

सिनेमैटोग्राफी कमाल की है। हर एक फ्रेम में पूरा रंग है। एक्शन सीक्वेंस से लेकर रनकपुर में पृथ्वीराज रघुवंशी की कोठी तक कैमरे की नज़र से हर एक चीज़ खूबसूरत दिखती है। आर्ट डायरेक्शन, एक्शन शानदार है। सिनेमैटोग्रीफी और स्पेशल इफेक्ट के लिए चार स्टार।

म्यूज़िक के मामले में बोल बच्चन उतना असर नहीं छोड़ता, हांलाकि फिल्म के साथ गाने मेल खाते हैं। चलाओ ना नैनो के बाण गाना वैसे भी चार्ट बस्टर है। गानों की कोरियोग्राफी कमाल है। हांलाकि बोल बच्चन गाने का फिल्म से कोई लेना देना नहीं है। म्यूज़िक के लिए 3 स्टार।

एक्टिंग के मामले में तो अजय देवगन ने बोल बच्चन में बल्ले-बल्ले कर दी है। कॉमेडी भी अजय ने इतने सीरियस अंदाज़ में की है कि आप हंसते ही रहेंगे। अभिषेक फिल्म की शुरूआत में ढीले हैं लेकिन एक बार जो उन्होने फ्लेवर पकड़ा है, तो ट्रैक पर चलते चले गए हैं। असिन और प्राची खूबसूरत लगी हैं उनके हाथ में ज़्यादा कुछ करने को आया नहीं है। अर्चना पूरन सिंह और कृष्णा अपने रोल में परफेक्ट हैं। स्टार वैल्यू के लिए 3 स्टार।

बोल बच्चन को ज़ी बॉक्स ऑफिस के तीन स्टार और पैसा वसूल का तमगा। क्लास और मास के पैमाने पर ये फिल्म बिंदास है। चेतावनी बस ये, कि रोहित की बाकी फिल्मों की तरह बोल बच्चन भी बिना दिमाग़ वालों के लिए है।

First Published: Friday, July 6, 2012, 22:13

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