न्याय व्यवस्था पर व्यंग है ‘जानी एलएलबी’ - Zee News हिंदी

न्याय व्यवस्था पर व्यंग है ‘जानी एलएलबी’

 

दिल्ली : फिल्म ‘‘फंस गये रे ओबामा’’ से चर्चा में आये निर्देशक सुभाष कपूर अपनी नई फिल्म ‘‘जानी एलएलबी’’ को अंतिम रूप देने में लगे हैं जिसकी कहानी हमारी न्याय व्यवस्था पर व्यंग्य करती है।

 

सुभाष कपूर ने कहा, फिल्म की कहानी के बारे में मैं विस्तार से नहीं बता सकता लेकिन यह कह सकता हूं कि यह हमारी न्याय व्यवस्था पर एक व्यंग्य है। फिल्म के अगस्त सितंबर तक रिलीज होने की संभावना है। वर्ष 2010 में उनकी रिलीज हुई फिल्म ‘‘फंस गये रे ओबामा’’ में आर्थिक मंदी के दौर में गुंडागर्दी और अपराध की दुनिया पर हुए इसके असर के बारे में एक चुटीला व्यंग्य किया गया था। उस फिल्म को दर्शकों ने हाथों हाथ लिया था।

 

कपूर का मानना है कि रजत कपूर, संजय मिश्रा, नेहा धूपिया जैसे सितारों को लेकर बनायी गई इस फिल्म ने उन्हें बंबई की फिल्मी दुनिया में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।

 

सुभाष कपूर ने ‘‘जानी एलएलबी’’ की शूटिंग महाराष्ट्र के सतारा क्षेत्र और दिल्ली में की गयी है और इसके कलाकारों में अरशद वारसी, बोमन ईरानी, अमृता राव, सौरभ शुक्ला इत्यादि हैं। कपूर ने कहा, ‘‘मेरी नयी फिल्म एक वास्तविक, मनोरंजक और व्यंग्य प्रधान फिल्म है जो पूरी न्याय व्यवस्था पर व्यंग्य करती है।’’

 

वर्ष 2007 में मुंबई आने से पहले सुभाष कपूर मूलत: पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े थे और ‘होम टीवी’ पर समसामयिक कार्यक्रम बनाते थे। उसके बाद उन्होंने टीवीआई के साथ तीन साल तक काम किया। दो तीन और जगहों पर दो-दो महीने काम करने के बाद उन्होंने सीधे मुंबई का रुख किया। मुंबई जाने की प्रेरणा के बारे में उन्होंने कहा, टीवीआई में पत्रकारिता के दिनों में मैंने प्रसिद्ध निर्देशक शेखर कपूर के लिए एक लघु फिल्म ‘रामलीला’ बनाई थी जिसे कई सारे अवॉर्ड मिले थे और उस फिल्म को लेकर तमाम लोगों की जो प्रतिक्रिया मिली, उसने मुझे मुंबई जाकर काम करने के लिए प्रेरित किया।

 

उन्होंने कहा कि मुंबई जाने के लिए न तो उन्होंने एफटीआईआई से पढ़ाई की न ही मुंबई में किसी के सहायक निर्देशक बने। मुंबई में वर्ष 2007 में उन्होंने संजय सूरी को लेकर अपनी पहली फिल्म ‘‘सलाम इंडिया’’ बनाई जो अधिक चर्चा में नहीं रही लेकिन काफी लोगों ने उनके प्रयास को सराहा।

 

मूलत: व्यंग्य के क्षेत्र में रुचि रखने वाले कपूर में कहा कि आगे भी वह दो स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं जिनमें से एक ‘‘फंस गये रे बाबा’’ है जो आज के समाज में बढ़ते धर्म के व्यापार और नये नये उभरते बाबाओं पर कटाक्ष करती है। इसके अलावा एक और स्क्रिप्ट ‘‘जंतर मंतर’’ पर वह काम कर रहे हैं जो राजनीतिक व्यंग्य है। उन्होंने कहा कि अगले दो ढाई महीने में स्क्रिप्ट का काम पूरा हो जायेगा और जल्द ही ये फिल्में शुरु की जायेंगी।  (एजेंसी)

First Published: Sunday, April 29, 2012, 11:32

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