Last Updated: Sunday, September 16, 2012, 14:34
देहरादून : लोकप्रिय ख्याल गायक राजन मिश्रा का मानना है कि शास्त्रीय संगीत की महान परंपरा को खास तौर पर ऐसे समय में सहेजने की जरूरत है जब पश्चिमी प्रभाव की वजह से इसकी पहचान को खतरा पैदा हो गया है। बनारस घराने के प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक राजन अपने छोटे भाई पंडित साजन मिश्रा के साथ गायन करते हैं । उनका कहना है कि वैश्वीकरण के इस दौर में संगीत की परंपरा भयंकर खतरे में हैं।
पद्मभूषण से नवाजे गए राजन ने कहा, हम आंखें मूंद कर पश्चिम का अनुकरण कर रहे हैं और अपनी सांस्कृतिक जड़ों से दूर होते जा रहे हैं। हमारे अपने संगीत के लिए यह शुभ नहीं है जो हमें अलग सांस्कृतिक पहचान देता है। राजन ने कहा, यह समय हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का है और मेरी नजर में शास्त्रीय संगीत इसका सबसे कीमती हिस्सा है। हमें स्वीकार करना चाहिए कि वाणिज्यीकरण के इस युग में संगीत की हमारी महान स्वदेशी परंपराएं भयंकर खतरे में हैं। 12 सदस्यीय अखिल भारतीय संगीत समूह में शामिल राजन का कहना है कि समूह की ओर से भारतीय शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा देने के मकसद से पिछले साल दिसंबर महीने में जो सिफारिशें की गयीं उन पर अब तक सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
राजन ने बताया, हमने पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की और भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं लोक कलाओं को बढ़ावा देने के मकसद से एक समर्पित चैनल की मांग की। उन्होंने हमारी बातें बहुत गौर से सुनीं और हमारे सुझावों की तारीफ की। उन्होंने कहा, यहां तक कि उन्होंने तत्कालीन संस्कृति सचिव को यह मामला देखने का निर्देश दिया और जो भी जरूरत हो वह करने को कहा लेकिन इसके बावजूद कुछ भी नहीं हुआ। राजन को साल 2007 में पद्मभूषण, 1998 में संगीत नाटक पुरस्कार और 1994-95 में गंधर्व राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 16, 2012, 14:34