Last Updated: Friday, April 20, 2012, 07:49
ज़ी न्यूज ब्यूरोमुंबई : जॉन अब्राहम के लिए निर्माता के तौर पर इससे अच्छी शुरुआत क्या हो सकती है, उनकी फिल्म विकी डोनर दर्शकों के लिए एक खास पेशकश है। बेहद असाधारण और बोल्ड विषय पर बनाई गई इस फिल्म के द्वारा जॉन ने बॉलीवुड में आयुष्मान खुराना (फिल्म के हीरो) के रूप में एक स्पर्म डोनर दिया है।
इतना संवेदनशील और बोल्ड होने के बाद भी फिल्म में दैहिक नुमाइश की गुंजाइश नहीं दिखती है। फिल्म की पूरी कहानी विकी (आयुष्मान खुराना) के आस पास घूमती है। एक पक्के दिल्ली के बेरोजगार नौजवान के किरदार में वो बिलकुल फिट बैठते हैं और कहानी की ट्रीटमेंट भी सटीक। विकी एक युवा और सुंदर लड़का है और वह अपनी विधवा मां डॉली (डॉली अहलुवालिया) के साथ रहता है। घर के हालात ठीक नहीं है। ऐसे में विकी की जिंदगी में डॉ चड्डा (अन्नू कपूर) आते हैं। वो एक फर्टिलिटी एक्सपर्ट है और विकी में चड्ढ़ा को स्वस्थ और कर्मयोगी स्पर्म डोनर दिखता है। उनकी बहुत कोशिशों के बाद विकी अपना स्पर्म डोनेट करने के लिए तैयार होता हैं। ऐसा करने से विकी को पैसा मिलता है और बेहत जिंदगी बिताने का मौका।
पहले विकी स्पर्म डोनर बनने से इनकार करता है लेकिन हालात को देखते हुए हामी भर देता है। फिल्म की अदाकारा अस्मिता राय भी ठीक-ठाक लगी हैं। विकी उसके चक्कर में भी पड़ता है।
कहानीकार जूही चतुर्वेदी ने इतनी अच्छी तरह फिल्म को आगे बढ़ाया है कि आप बार-बार कुछ नया खोजने को मजबूर हो जाएंगे। कह सकते है कि छोटे बजट में इस तरह की फिल्म बनाना तारीफ लायक है। फिल्म संवेदनशील मुद्दे के साथ दर्शकों को भावनाओं में बहा ले जाएगी और कुछ गुदगुदाएगी भी। संगीत भी फिल्म के अनुसार दी गई है।
आयुष्मान ने जवान और खूबसूरत पंजाबी लड़के की एक्टिंग शानदार तरीके से निभाई है। साथ ही अपने किरदार के साथ न्याय किया है। अगर आप कुछ नया देखने को तत्पर हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।
First Published: Friday, April 20, 2012, 13:19