Last Updated: Thursday, September 19, 2013, 13:55

चेन्नई : राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मकार जानकी विश्वनाथन की पहली हिंदी फिल्म ‘बकरापुर’ में एक बकरी को एक अहम किरदार के रूप में लिया गया है, जिसका नाम शाहरूख रखा गया है। हालांकि जानकी ने इसका कोई जुड़ाव बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरूख खान के साथ होने से इंकार कर दिया।
जब जानकी से पूछा गया कि क्या यह खान के साथ हास्य-विनोद के लिए है तो उन्होंने बताया कि इसका शाहरूख खान के साथ कोई लेना-देना नहीं है। आप देखते होंगे कि लोग अपने पालतू जानवरों का नाम अभिनेताओं के नाम पर या फिर उन लोगों के नाम पर रखते हैं, जिनसे वे प्यार करते हैं। बकरी इस कहानी का अहम हिस्सा है इसलिए हमें इसके लिए कोई ऐसा नाम चाहिए था, जो ध्यान खींचने वाला हो। उन्होंने कहा, ‘यह नाम सिर्फ शाहरूख है, जिसका शाब्दिक अर्थ बादशाह का चेहरा है।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या 47 वर्षीय अभिनेता ने इस पर कोई प्रतिक्रिया या ट्वीट किया है तो विश्वनाथन ने कहा कि अब तक उन्हें ऐसी किसी भी टिप्पणी के बारे में पता नहीं है।
जानकी ने कहा, ‘मैं उनकी प्रशंसक हूं। हालांकि मैं खुद उनसे नहीं मिली हूं लेकिन उनके साक्षात्कार पढ़कर लगता है कि उनमें मजाक की बेहतरीन समझ है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘बकरापुर’ साइरस बरूचा के एमटीवी कार्यक्रम ‘बकरा’ का प्रारूप नहीं है। यह एक काल्पनिक नाम है, जहां हर कोई किसी दूसरे को बेवकूफ बनाता है।
उन्होंने कहा, ‘यह फिल्म ग्रामीण भारत की पृष्ठभूमि में बना एक राजनैतिक-सामाजिक व्यंग्य है। शुरूआत में यह फिल्म आठ वर्षीय जुल्फी और उसकी पालतू बकरी शाहरूख के बीच का संबंध दर्शाती है। यह हमारे समाज में मौजूद जटिल मतों की व्यवस्था और उसके बाद पैदा होने वाले विवादों पर तंज कसती है।’ 90 मिनट की इस फिल्म का लेखन और निर्देशन जानकी ने किया है। इसमें अंशुमान झा, आसिफ बासरा, फैज खान, शमीन खान और सुरूचि औलाख ने अभिनय किया है।
इससे पहले विश्वनाथन चार फिल्में बना चुकी हैं। इनमें से तीन तमिल फिल्में थीं। उनकी पहली फिल्म ‘कुट्टी’ 2001 में प्रदर्शित हुई थी और उसे दो राष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे। 2004 में उन्होंने ‘कानावू मेई पाडा वाएनडम’ की और फिर सात साल बाद ‘ओम ओबामा’ की। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 19, 2013, 13:55