Last Updated: Friday, June 7, 2013, 21:40
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : धर्मेंद्र ने एक बार फिर रुपहले पर्दे पर अपने दोनों पुत्रों सनी द्ओल और बॉबी देओल के साथ धमाल मचाने की कोशिश की है। ‘यमला पगला दीवाना-2’ भी मसाले से भरपूर है लेकिन अपने पहले संस्करण ‘यमला पगला दीवाना’ की तुलना में यह कमजोर फिल्म साबित होती है।
फिल्म की कहानी धर्मेंद्र, सनी और बॉबी के ईद-गिर्द घूमती है। धरम (धर्मेन्द्र) अपने छोटे बेटे गजोधर (बॉबी देओल) के साथ वाराणसी में शान-शौकत से रहते हैं। उनका बड़ा बेटा परमवीर (सन्नी देओल) ब्रिटेन में रहता है। परमवीर द्वारा आर्थिक मदद किए जाने के बाद भी धरम और गजोधर लोगों को परेशान और मूर्ख बनाकर अपना काम बनाने में लगे रहते हैं।
धरम और गजोधर ब्रिटेन के कारोबारी सर योगराज खन्ना (अन्नू कपूर) को अपनी जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं। योगराज यमला बाबा का आशीर्वाद पाने ब्रिटेन से भारत आया होता है। योगराज के साथ उसकी बेटी सुमन (नेहा शर्मा) भी आई होती है जो बॉलीवुड स्टार सलमान खान की बहुत बड़ी प्रशंसक होती है। धरम चाहता है कि गजोधर सुमन को अपने प्रभाव में ले ले ताकि उनको ब्रिटेन जाने का मौका मिले। पिता-पुत्र अपने इस कोशिश में कामयाब हो जाते हैं और वे ब्रिटेन पहुंच जाते हैं।
धरम और गजोधर जब ब्रिटेन पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उन्होंने मुसीबत मोल लिया है। यहां आने पर दोनों को पता चलता है कि परमवीर खन्ना के लिए काम करता है। यहां से फिल्म रोचक और हंसी-मजाक से परिपूर्ण हो जाती है। अभिनय की अगर बात करें तो धर्मेंद्र, सन्नी और बॉबी ने उम्मीद के मुताबिक अभिनय नहीं किया है। तीनों अनुभवी कलाकार हैं और उनसे इससे बेहतर अभिनय की उम्मीद थी।
बॉलीवुड में इस फिल्म के जरिए कदम रखने वाली क्रिस्टीना अखीवा अपने अभिनय से प्रभावित नहीं कर पाई हैं। उन्हें अभी बहुत कुछ सीखना है। जबकि अनुपम खेर, जॉनी लीवर और सुचेता शर्मा ने अपनी भूमिका से न्याय किया है। फिल्म का संगीत भी औसत है।
कुल मिलाकर, हास्य प्रधान फिल्म होने के बावजूद यह फिल्म आपको गुदगुदाने में कमजोर साबित होती है। फिल्म की कहानी कमजोर है। निर्देशक को फिल्म की कहानी पर और मेहनत करनी चाहिए थी। धर्मेंद्र, सन्नी और बॉबी की तिकड़ी ‘अमला पगला दीवाना’ के मुकाबले मायूस करती है।
First Published: Friday, June 7, 2013, 16:13