Last Updated: Monday, October 22, 2012, 13:00

ज़ी न्यूज ब्यूरो
मुंबई : प्रसिद्ध फिल्म निर्माता, निर्देशक एवं पटकथा लेखक यश चोपड़ा का अंतिम संस्कार सोमवार को दोपहर तीन बजे दक्षिण मुंबई स्थित चंदनवाड़ी श्मशान घाट में किया जाएगा। अंतिम दर्शनों के लिए उनकी पार्थिव शरीर सुबह नौ बजे से दोपहर 12 बजे तक यशराज स्टूडियो में रखी रहेगी।
गौर हो कि किंग ऑफ रोमांस यश चोपड़ा का संक्षिप्त बीमारी के बाद रविवार को मुंबई के लीलावती अस्पताल में निधन हो गया। वह 80 वर्ष के थे। यश चोपड़ा डेंगू से पीड़ित थे। उनके निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर फैल गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यश चोपड़ा के निधन पर गहरा दुख जताया है।
इससे पहले, फिल्म निर्माता यश चोपड़ा का पार्थिव शरीर यहां जुहू स्थित उनके आवास लाए जाने के बाद रविवार रात अंधेरी स्थित यशराज स्टूडियो ले जाया गया। चोपड़ा का पार्थिव शरीर पहले रात करीब सवा नौ बजे उनके बंगले पर ले जाया गया। कुछ समय के बाद यह यशराज स्टूडियो ले जाया गया। उनके बेटे आदित्य, फिल्म निर्माता करण जौहर और अभिनेता शाहरुख खान लीलावती अस्पताल से शव लेकर आई एंबुलेंस के साथ थे।
स्टूडियो तक की शव यात्रा में यश चोपड़ा के परिवार के सदस्य भी थे। चोपड़ा को डेंगू के चलते 13 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार शाम साढ़े पांच बजे उनका निधन हो गया। उनके परिवार के सदस्यों के अतिरिक्त संजय दत्त, कुणाल कोहली, मधुर भंडारकर और अन्य हस्तियों ने चोपड़ा के घर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
उनके परिवार में पत्नी पामेला चोपड़ा एवं दो लड़के आदित्य एवं उदय हैं। जैसे ही महान फिल्मकार के निधन की खबर फैली हर तरफ शोक की लहर दौड़ पड़ी। प्रधानमंत्री ने यश चोपड़ा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके पास सौंदर्यबोध की प्रतिभा थी जिसकी वजह से उनकी फिल्में अद्वितीय थीं।
वह जिस प्रभावशाली ढंग से प्रेम एवं सामाजिक नाटक को कहते थे वह बेजोड़ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यश चोपड़ा ने भारतीय सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया और उन्हें कई देशों द्वारा सम्मानित भी किया गया। फिल्मकार महेश भट्ट ने यश चोपड़ा के निधन को बॉलीवुड की महान क्षति बताया।
भट्ट ने कहा कि मेरे भाई मुकेश भट्ट ने मुझे 6.30 बजे फोन किया और वह रोने लगा। उसने मुझे बताया कि यशजी का निधन हो गया। वह उनके बेहद नजदीक था। यह बहुत दुखद और बड़ी क्षति है। फिल्म के क्षेत्र में अपने अविस्मरणीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 2001 में दादा साहब फाल्के एवं 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।
यशराज चोपड़ा का जन्म 21 सितम्बर 1932 को अविभाजित भारत के लाहौर शहर में हुआ था। यशराज ने अपना फिल्मी करियर अपने बड़े भाई बी.आर. चोपड़ा (बल राज चोपड़ा) के सहायक के तौर पर किया।
यशराज ने बीआर फिल्म्स के तले बनी फिल्म `धूल का फूल` के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में सफलतापूर्वक कदम रखा। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यश ने बीआर फिल्म्स की जबरदस्त सफल फिल्म `वक्त` के अलावा अमिताभ बच्चन अभिनीत `दीवार` का भी निर्देशन किया। इस फिल्म ने अमिताभ को एंग्री यंग मैन के खिताब से नवाजा।
यशराज ने 1973 में यशराज फिल्म्स से खुद का बैनर स्थापित किया और एक से बढ़कर एक फिल्में दी। प्रेम कहानी को पिरोने के जादूगर यशराज ने `दाग`, `त्रिशूल`, `कभी-कभी`, `चांदनी`, `डर`, `दिल तो पागल है`, `मोहब्बतें` एवं `वीर जारा` जैसी फिल्मों का निर्माण एवं निर्देशन किया। यशराज की फिल्में अपने संगीत के जरिए दर्शकों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहीं।
इस दिनों यश चोपड़ा `जब तक है जान` की शूटिंग में व्यस्त थे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण फिल्म की शूटिंग के कुछ हिस्सों की शूटिंग को रोक दिया गया था। उन्होंने इस फिल्म के साथ ही फिल्म निर्माण से संन्यास की घोषणा कर दी थी। यशराज को अपने 50 साल के फिल्मी करियर में छह राष्ट्रीय पुरस्कार एवं 11 फिल्म फेयर पुरस्कारों से नवाजा गया था।
First Published: Monday, October 22, 2012, 09:40