समीक्षा: फिल्म अईया में मनोरंजन का तड़का नदारद

समीक्षा: फिल्म अईया में मनोरंजन का तड़का नदारद

समीक्षा: फिल्म अईया में मनोरंजन का तड़का नदारदज़ी न्यूज ब्यूरो

मुंबई: शुक्रवार को रानी मुखर्जी की फिल्म अईया रिलीज हो गई। इस फिल्म में बॉलीवुड अदाकारा रानी मुखर्जी ने काफी लंबे अरसे बाद वापसी की है। फिल्म में रानी की अदाकारी तो सही मायने में बेहतर है लेकिन फिल्म समझ से परे है और पूरी तरह भटकी हुई मालूम होती है। फिल्म के बेहतर होने का जो दावा किया गया था वह सभी दावे खोखले साबित हुए है।

इस फिल्म को सचिन कुंदलकर ने निर्देशित किया है। सचिन कुंदलकर मंझे हुए निर्देशक माने जाते हैं जो राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुके है। लेकिन इस फिल्म में उनके निर्देशन को समझ पाना बेहद मुश्किल है। फिल्म की गति , उसकी दिशा और स्क्रिप्ट को समझ पाना मुश्किल है। फिल्म की स्क्रिप्ट में कोई दोष नहीं लेकिन जिस हिसाब से उसे हैंडल किया गया है वह तरीका समझ से परे नजर आता है।

‘अईया’ की कहानी एक मराठी परिवार के इर्द गिर्द घूमती है जो लंबे अरसे मुम्बई में रह रहा है। इस परिवार की लड़की एक तमिल लड़के को चाहती है। अमूमन जब लड़कियों को अपने पसंद का जीवनसाथी, जिनके साथ वह अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हैं, नहीं मिलता है तो वे अपनी जिंदगी को बोझिल पाती हैं। लेकिन फिल्म अईया में अपने परिजनों की मर्जी के खिलाफ रानी अपनी पसंद को तरजीह देती है। हालांकि अईया में शादी की रस्म के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है।

मीनाक्षी (रानी मुखर्जी) को एक ऐसी लड़की बताया है जो अपनी कृत्रिम फिल्मों की दुनिया में खुश है। वह एक पेंटर सूर्या (पृथ्वीराज सुकुमारन) की तरफ आकर्षित होती है। लेकिन उसकी तो मंगनी तो माधव (सुबोध भावे) के साथ तय हो जाती है। फिल्म कुछ जगहों पर गुदगुदाती है ,हंसाती है लेकिन दर्शकों को बांधे रख पाने में नाकामयाब रही है।

अमित त्रिवेदी का संगीत पहले ही लोगों के जबान पर चढ़ चुका है। ‘अगा बाई में रानी के डांस स्टेप्स भी दमदार हैं। रानी मुखर्जी ने अपने सशक्त अभिनय से जबरदस्त वापसी की है। उन्होंने हास्य और भावुक सींस को बखूबी निभाया है। पृथ्वीराज सुकुमारन जो कि दक्षिण भारतीय फिल्मों में दिखते हैं उन्होंने अपनी पहली हिन्दी फिल्म में ठीकठाक अभिनय किया है।

फिल्म अईया को एक मनोरंजक फिल्म के तौर पर नहीं लेकिन रानी की अदाकारी के लिए देखा जा सकता है। कई दृश्यों में फूहड़पन और अश्लीलता है और लगता है कि उन्हें जानबूझकर फिल्म में ठूंसा गया है। लेकिन कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म उम्मीदों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी है।

हम यहीं उम्मीद कर सकते हैं कि सचिन दोबारा अपनी इस गलती को अपनी अगली फिल्म में नहीं दोहराएंगे। फिल्म में कुछ तो ऐसा हो जिसके लिए दर्शक देखने जाए लेकिन अईया में ऐसा क्या है इसका आकलन करना मुश्किल है।

First Published: Friday, October 12, 2012, 13:56

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